थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid.
थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid:
थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid:
थायराइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गले में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) नामक हार्मोन का उत्पादन करती है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करता हैं। इन हार्मोनों का स्राव थायराइड उत्तेजक हार्मोन (TSH) द्वारा नियंत्रित होता है जो पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland) से स्रावित होता है।
थायराइड हार्मोन शरीर के विभिन्न कार्यों जैसे ऊर्जा उत्पादन, हृदय गति, पाचन और मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। थायराइड के असंतुलन से हाइपरथायरायडिज्म (अधिक हार्मोन का उत्पादन) और हाइपोथायरायडिज्म (कम हार्मोन का उत्पादन) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए थायराइड का सही संतुलन बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। इस लेख मे हम थायराइड के लक्षण एवं इसके उपचार के बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आइए जानते हैं थायराइड बढ़ने के लक्षण और इसके उपचार के बारे में जो थायराइड रोग को ठीक करने में बहुत मददगार होते हैं। इसलिए इस महत्वपूर्ण आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
थायराइड के प्रकार Types of thyroid:
हाइपोथायराइडिज्म Hypothyroidism:
हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है। सामान्य लक्षणों में थकान होना, वजन बढ़ना, ठंड सहन न कर पाना, शुष्क त्वचा और अवसाद शामिल हैं। इसके उपचार के लिए थायराइड हार्मोन सप्लीमेंट दिया जाता है। इस स्थिति को सही दवाओं और नियमित जांच से नियंत्रित किया जा सकता है जिससे व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid.
हाइपरथायराइडिज्म Hyperthyroidism:
हाइपरथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड ग्रंथि अत्यधिक मात्रा में थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) हार्मोन का उत्पादन करती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है। सामान्य लक्षणों में तेज़ दिल की धड़कन, वजन कम होना, अत्यधिक पसीना आना, घबराहट और नींद में कठिनाई शामिल हैं। उपचार में एंटीथायराइड दवाएं, आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ और कभी-कभी सर्जरी भी शामिल होती है। सही उपचार और प्रबंधन से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
थायराइड होने का मुख्य कारण The main reason for having thyroid:
आयोडीन की कमी Iodine deficiency :
आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए एक आवश्यक तत्व है। आयोडीन की कमी के कारण थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है। जिसका सबसे मुख्य कारण आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों की कमी है। आयोडीन की कमी से सबसे आम समस्या घेंघा रोग है जिसमें थायराइड ग्रंथि बढ़ जाती है और गले में सूजन हो जाता है। इसके अलावा इसकी कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो सकता है जिससे थकान, वजन बढ़ना, शुष्क त्वचा और ठंड सहन न कर पाना जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस कमी से निपटने के लिए आयोडीन युक्त आहार और सप्लीमेंट्स का सेवन करना जरूरी है।
ऑटोइम्यून विकार Autoimmune disorders:
ऑटोइम्यून विकार को "स्व-प्रतिरक्षी विकार" कहा जाता है। ये विकार तब होते हैं जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करती है। सामान्यतः प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को बाहरी संक्रमणों और बीमारियों से बचाती है लेकिन ऑटोइम्यून विकार में यह अपनी ही कोशिकाओं को बाहरी मानकर नष्ट करने लगती है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों जैसे थायराइड, जोड़ों और त्वचा में समस्याएं पैदा होती हैं। ऑटोइम्यून विकारों का इलाज दवाओं और चिकित्सा देखभाल से किया जाता है।
आनुवंशिक कारक Genetic factors:
थायराइड विकारों में आनुवंशिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर परिवार में किसी को थायराइड की समस्या रही है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह समस्या हो सकती है। आनुवंशिक प्रवृत्ति के कारण किसी व्यक्ति को हाशिमोटो थायरॉयडिटिस, ग्रेव्स रोग या अन्य थायराइड विकार हो सकते हैं। आनुवंशिक कारकों के प्रभाव को कम करने के लिए नियमित चिकित्सा जांच और सही उपचार आवश्यक है। आनुवांशिक कारणों से होने वाले थायराइड विकारों को सही दवाओं और चिकित्सा देखभाल से रोका जा सकता है।
थायराइड के लक्षण Symptoms of Thyroid:
हमेशा थकान महसूस होना Always feeling tired:
थायराइड विकारों के कारण व्यक्ति को हर समय थकान महसूस हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन का स्तर कम हो जाता है जिससे शरीर का ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को सामान्य दैनिक कार्य करते समय भी थकान महसूस होती है। कई बार भरपूर नींद लेने के बाद भी थकान बनी रहती है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति जो पूरे दिन पर्याप्त आराम करता है उसके बाद भी बहुत थका हुआ महसूस करता है यह लक्षण थायराइड के हो सकते है।
वजन बढ़ना या घटना Weight gain or loss:
थायराइड हार्मोन की कमी या अधिकता शरीर के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करती है। हाइपोथायराइडिज्म में मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है जिससे वजन बढ़ने लगता है जबकि हाइपरथायराइडिज्म में मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है जिससे वजन घटने लगता है। बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन बढ़ना या घटना थायराइड विकार का संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि सामान्य आहार और व्यायाम के बावजूद भी किसी ब्यक्ति का वजन बढ़ रहा है तो उसे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है जबकि किसी ब्यक्ति का वजन बिना किसी स्पष्ट कारण के कम हो रहा है उसे हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है।
ठंड या गर्मी के प्रति असहनीयता intolerance to cold or heat:
थायराइड विकार शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता हैं। हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति को ठंड के प्रति असहनीयता होती है, जबकि हाइपरथायरायडिज्म में व्यक्ति को गर्मी के प्रति असहनीयता होती है। सामान्य तापमान मे शरीर को अधिक ठंड लगने पर हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है और सामान्य तापमान होने पर भी अत्यधिक गर्मी महसूस होती है तो हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है।
बालों का झड़ना Hair loss:
थायराइड हार्मोन का असंतुलन बालों की ग्रोथ को प्रभावित करता है जिससे बाल झड़ने लगते हैं। हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म दोनों ही स्थितियों में बालों का झड़ना सामान्य है। थायराइड विकार बालों के स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करता हैं। सामान्य से अधिक बालों का झड़ना थायराइड विकार का संकेत हो सकता है। बालों का झड़ना आमतौर पर सिर की त्वचा के साथ-साथ भौहें और अन्य क्षेत्रों में भी होता है।
त्वचा का शुष्क होना Dryness of skin:
थायराइड विकार त्वचा की नमी को प्रभावित करता है जिससे त्वचा शुष्क और रूखी हो जाती है। हाइपोथायराइडिज्म में त्वचा का शुष्क होना सामान्य बात है। यदि त्वचा सामान्य से अधिक शुष्क होती जा रही है और त्वचा पर सफेद धब्बे दिखाई दे रहे हैं तो यह थायराइड की समस्या हो सकती है। यह समस्या आमतौर पर हाथ, पैर और चेहरे की त्वचा पर अधिक देखी जाती है।
मूड स्विंग्स Mood swings:
थायराइड विकार मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है जिससे मूड में बदलाव हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति उदासी और अवसाद महसूस करता है जबकि हाइपरथायरायडिज्म में व्यक्ति चिड़चिड़ापन और अत्यधिक उत्तेजना महसूस करता है। यदि कोई महिला जो बिना किसी कारण के उदास हो जाती है और छोटी-छोटी बातों पर रोने लगती है उसे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है जबकि एक पुरुष जो छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है उसे हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है।
हृदय गति तेज होना Rapid heart rate:
हाइपरथायराइडिज्म में थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है जिससे हृदय गति तेज हो जाती है और दिल की धड़कन तेज होने का अनुभव होता है जिसे पलपिटेशन कहा जाता है। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति जो आराम करते समय भी तेज़ दिल की धड़कन महसूस कर रहा है उसे हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है। यह स्थिति अन्य हृदय समस्याओं का संकेत भी हो सकती है इसलिए चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।
थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid.
नींद की समस्या Sleep problems:
थायराइड विकार नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं। हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति को अत्यधिक नींद आती है जबकि हाइपरथायरायडिज्म में नींद आने मे कठिनाई होती है। यदि किसी को रात में ठीक से नींद नहीं आती और बार-बार जाग जाता है तो उसे हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है। यदि व्यक्ति को दिन में लगातार अत्यधिक नींद आ रही हो उसे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
कब्ज की समस्या Constipation problem:
हाइपोथायरायडिज्म पाचन तंत्र को धीमा कर देता है जिससे कब्ज हो सकता है। थायराइड हार्मोन की कमी से आंतों की गतिविधि धीमी हो जाती है जिससे मल त्यागने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए जिस व्यक्ति को नियमित रूप से मल त्यागने में कठिनाई होती है और पेट में भारीपन महसूस होता है, उसे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। यह समस्या पुरानी हो सकती है और आहार में फाइबर की कमी से और भी बढ़ सकती है।
सामान्य तापमान मे पसीना आना Sweating at normal temperature:
हाइपरथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है जिसके कारण व्यक्ति को अत्यधिक पसीना आता है। यदि किसी को सामान्य तापमान में भी अत्यधिक पसीना आ रहा हो और हर समय गर्मी महसूस होती हो उसे हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है। यह स्थिति सामान्य जीवनशैली और कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
थायरॉइड से बचाव के उपाय Ways to prevent thyroid:
आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन Consumption of iodine-rich foods:
आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे समुद्री भोजन, दूध, अंडे, और आयोडीन युक्त नमक का सेवन थायराइड के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। अगर किसी व्यक्ति को थायराइड विकार है तो उसे अपने आहार में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए, जिससे थायराइड की समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।
विटामिन और मिनरल्स Vitamins and Minerals:
विटामिन D, सेलेनियम और जिंक जैसे मिनरल्स थायराइड स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये मिनरल्स थायराइड हार्मोन के उत्पादन और विनियमन में सहायता करते हैं। ब्राजील नट्स में सेलेनियम होता है जो थायराइड को सुधारने में अधिक मदद करता है। थायराइड की समस्या से निपटने के लिए अपने आहार में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए।
हर्बल उपचार Herbal Treatments:
अश्वगंधा और गूगुलु जैसे हर्बल सप्लीमेंट्स थायराइड के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये जड़ी-बूटियाँ थायराइड हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती हैं। अश्वगंधा का सेवन थायराइड कार्यक्षमता को सुधारने में सहायक होता है। थायराइड की समस्या को दूर करने के लिए हर्बल सप्लीमेंट्स का सेवन करना चाहिए।
योग और ध्यान Yoga and Meditation:
योग और ध्यान थायराइड के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तनाव को कम करने में मदद करते हैं जो थायराइड विकारों के लक्षणों को कम कर सकते हैं। प्राणायाम और मेडिटेशन से थायराइड हार्मोन का संतुलन ठीक बना रहता है। अगर किसी को थायराइड की समस्या है तो उसे नियमित रूप से योग और ध्यान करना चाहिए।
नियमित व्यायाम Regular exercise:
नियमित व्यायाम थायराइड के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है और वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करने से थायराइड के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलती है। अगर किसी को थायराइड की समस्या है तो उसे नियमित रूप से चलना, दौड़ना या तैराकी जैसे व्यायाम करने चाहिए।
संतुलित आहार का सेवन Consuming a balanced diet:
संतुलित आहार में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल करने चाहिए। यह थायराइड हार्मोन के उत्पादन और शरीर के मेटाबोलिज्म को संतुलित करने में मदद करता है। नियमित ताजे फल और हरी सब्जियों के सेवन करने से थायराइड के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होता है।
तनाव प्रबंधन stress management:
तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, योग और गहरी सांस लेने की तकनीकें अपनाई जाती हैं। यह थायराइड हार्मोन के स्तर को स्थिर रखने में मदद करता है। नियमित ध्यान और योग अभ्यास करने से तनाव में कमी आती है। जिससे थायराइड को कम करने मे मदद मिलती है।
स्वस्थ जीवनशैली healthy lifestyle:
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से थायराइड विकारों को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। इसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद शामिल हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से थायराइड के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
वजन नियंत्रण Weight Control:
थायराइड विकारों से वजन में बदलाव हो सकता है। उचित आहार और नियमित व्यायाम से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से हाइपोथायराइडिज्म में वजन बढ़ने से रोका जा सकता है। थायराइड विकार वजन बढ़ने या घटने का कारण बनते हैं इसलिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार वजन नियंत्रण में बहुत मदद करते हैं।
दवाओं का उपयोग Use of drugs:
हाइपोथायराइडिज्म के लिए थायरॉक्सिन Thyroxine for hypothyroidism:
हाइपोथायराइडिज्म का उपचार थायरॉक्सिन नामक दवा से किया जाता है। यह दवा शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी को पूरा करती है। लगातार थकान और वजन बढ़ने की समस्या होने पर डॉक्टर थायरॉक्सिन की खुराक दे सकते हैं।
हाइपरथायराइडिज्म के लिए एंटी-थायरॉइड दवाइयाँ Anti-thyroid medications for hyperthyroidism:
हाइपरथायराइडिज्म के उपचार के लिए एंटी-थायरॉइड दवाइयाँ दी जाती हैं जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करती हैं। अगर किसी व्यक्ति को दिल की धड़कन तेज हो रही है और वजन घट रहा है तो डॉक्टर एंटी-थायरॉइड दवाओं का उपयोग करते हैं।
रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी Radioactive iodine therapy:
रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी का उपयोग हाइपरथायराइडिज्म के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें रेडियोधर्मी आयोडीन को मौखिक रूप से लिया जाता है जो थायराइड ग्रंथि के कुछ हिस्सों को नष्ट कर देता है। अगर किसी व्यक्ति को अत्यधिक पसीना आ रहा है और वजन घट रहा है तो डॉक्टर रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी की सलाह देते हैं।
सर्जरी Surgery:
थायराइड के लिए चिकित्सा परीक्षण Medical tests for thyroid:
टीएसएच (TSH) टेस्ट TSH test:
टीएसएच टेस्ट थायराइड हार्मोन के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में टीएसएच हार्मोन की मात्रा को मापा जाता है, जो पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित होता है और थायराइड हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करता है। उच्च टीएसएच स्तर हाइपोथायराइडिज्म और निम्न टीएसएच स्तर हाइपरथायराइडिज्म का संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को थकान और वजन बढ़ने की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर टीएसएच टेस्ट की सलाह देते हैं।
T3 और T4 टेस्ट T3 and T4 Tests:
टी3 और टी4 टेस्ट थायराइड हार्मोन ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) के स्तर को मापते हैं। यह परीक्षण थायराइड ग्रंथि की कार्यक्षमता को जांचने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उच्च या निम्न स्तर थायराइड विकारों का संकेत दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को वजन घटने और दिल की धड़कन तेज होने की समस्या हो रही है तो डॉक्टर टी3 और टी4 टेस्ट करवाते हैं।
अल्ट्रासाउंड Ultrasound:
थायराइड ग्रंथि की संरचना और आकार की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इस परीक्षण से थायराइड ग्रंथि में गांठ, सिस्ट, या अन्य असामान्यताएं पाई जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति को गले में सूजन या गांठ महसूस हो रही है तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं।
थायराइड के प्रकार, कारण, लक्षण और उपाय Types, causes, symptoms and remedies of thyroid.
बायोप्सी Biopsy:
थायराइड ग्रंथि में पाए जाने वाले गांठ या सिस्ट की जांच के लिए बायोप्सी की जाती है। इस प्रक्रिया में एक सुई के माध्यम से थायराइड ग्रंथि से ऊतक का नमूना लिया जाता है और उसे प्रयोगशाला में जांचा जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति को थायराइड ग्रंथि में गांठ है और डॉक्टर को कैंसर का संदेह है तो वे बायोप्सी की सलाह दे सकते हैं। यह प्रक्रिया थोड़ी दर्दनाक हो सकती है लेकिन यह थायराइड कैंसर की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष Conclusion:
थायराइड विकार जैसे हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म, शरीर के विभिन्न अंगों और प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं। जैसा की इस लेख मे बताया गया है थायराइड रोग के सामान्य लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना या घटना, ठंड या गर्मी की असहनीयता, जैसी अनेक समस्याए शामिल होती हैं। इन सभी लक्षणों का सही समय पर पहचान और उपचार करना बहुत जरूरी है। उपचार में दवाइयाँ, रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी, सर्जरी और प्राकृतिक उपचार शामिल होते हैं। आहार में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ, विटामिन और मिनरल्स और हर्बल उपचार सहायक होते हैं। जीवनशैली में बदलाव जैसे योग, ध्यान, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव को कम करने के उपाय भी थायराइड के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही उपचार और जीवनशैली से थायराइड विकारों को नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सकता है।
अस्वीकरण Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यंहा दी गई जानकारी किसी भी बीमारी के उपचार और निदान के लिए किसी चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह नहीं है। कुछ बातें ध्यान में रखना ज़रूरी है। इस लेख में दिए गए उपचार और सुझाव व्यक्ति विशेष की आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। अगर किसी को थायराइड रोग की गंभीर समस्या है तो किसी भी स्वास्थ्य समस्या या थायराइड विकार के लक्षणों के मामले में कृपया अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें। अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य सुझाव और जानकारी की अस्वीकरण नीति को पढ़ें। लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
थायराइड विकार के सामान्य कारण क्या हैं?
थायराइड विकारों के सामान्य कारणों में आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यून विकार (जैसे हाशिमोटो और ग्रेव्स रोग), आनुवंशिकता, हार्मोनल असंतुलन, गर्भावस्था, तनाव और कुछ दवाओं या रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग शामिल हैं। यह विकार महिलाओं में अधिक आम है और उम्र के साथ जोखिम बढ़ता जाता है। थायरॉयड ग्रंथि का संक्रमण या सूजन भी इसका कारण होता है।
थायराइड के लक्षण क्या हैं?
थायराइड के लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना या घटना, ठंड या गर्मी के प्रति संवेदनशीलता, बालों का झड़ना, शुष्क त्वचा, हाथ और पैरों में सूजन, हृदय गति में बदलाव, मासिक धर्म की अनियमितता, अवसाद या चिड़चिड़ापन और गले में सूजन शामिल हैं। हाइपोथायरायडिज्म के कारण वजन बढ़ता है और अधिक ठंड लगती है जबकि हाइपरथायरायडिज्म के कारण वजन घटता है और अधिक गर्मी लगती है।
थायराइड का निदान कैसे किया जाता है?
थायराइड का निदान रक्त परीक्षण द्वारा किया जाता है जो TSH, T3 और T4 हार्मोन के स्तर को मापता है। इसके अलावा थायरॉइड एंटीबॉडीज़ का परीक्षण, थायरॉइड अल्ट्रासाउंड और रेडियोआयोडीन अपटेक स्कैन भी निदान में सहायक होते हैं। डॉक्टर इन परीक्षणों के आधार पर थायराइड विकारों का निदान करते हैं और उपचार की योजना बनाते हैं।
थायराइड कितने प्रकार के होते हैं?
थायराइड विकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म। हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है जिससे मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है। हाइपरथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन का उत्पादन अधिक होता है, जिससे मेटाबोलिज्म तेज हो जाता है। इसके अलावा थायराइडिटिस, ग्रेव्स डिजीज और हाशिमोटो डिजीज भी थायराइड विकारों के अन्य प्रकार हैं।
गले में थायराइड की क्या पहचान है?
गर्दन में थायराइड के लक्षणों में गले के सामने सूजन या गांठ हो जाती है जिसे गण्डमाला (goiter) कहा जाता है। अन्य लक्षणों में निगलने या सांस लेने में कठिनाई, आवाज में बदलाव जैसे घरघराहट और गले में दबाव या भारीपन महसूस होना शामिल होता है। ये लक्षण थायरॉयड ग्रंथि की असामान्य वृद्धि या सूजन के संकेत होते हैं।
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