किडनी खराब होने के लक्षण, घरेलू उपाय Symptoms of kidney failure, home remedies.
किडनी खराब होने के लक्षण, घरेलू उपाय Symptoms of kidney failure, home remedies:
क्या आप जानते हैं किडनी शरीर की सफाई व्यवस्था की रीढ़ है? हमारे शरीर में किडनी एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जो खून को फिल्टर करके शरीर से विषैले तत्वों और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का काम करती है। लेकिन जब किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत आदतें किडनी की बीमारियों को बढ़ावा दे रही हैं। किडनी फेलियर एक गंभीर स्थिति होती है, जो धीरे-धीरे बिना किसी स्पष्ट संकेत के विकसित हो सकती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किडनी खराब होने के कौन-कौन से शुरुआती और गंभीर लक्षण होते हैं, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके और जीवन को सुरक्षित रखा जा सके।
किडनी खराब होने के लक्षण, घरेलू उपाय Symptoms of kidney failure, home remedies.
शरीर में किडनी की भूमिका:
किडनी हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो रक्त को साफ करने, विषैले तत्वों को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने और शरीर में पानी तथा खनिजों का संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है। यह रक्तचाप नियंत्रित करने, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक हार्मोन बनाने और हड्डियों को मजबूत करने में भी मदद करती है। किडनी के सही तरीके से काम न करने पर शरीर में विषैले तत्व जमा हो जाते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
क्यों है किडनी इतनी महत्वपूर्ण?
किडनी हमारे शरीर की "फिल्टर मशीन" की तरह काम करती है, जो हर दिन लगभग 50 गैलन खून को छानकर अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त तरल को मूत्र के रूप में बाहर निकालती है। यह शरीर के तरल संतुलन को बनाए रखने, इलेक्ट्रोलाइट्स को नियंत्रित करने और रक्तचाप को नियमित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किडनी शरीर की इम्यूनिटी को भी प्रभावित करती है। यदि यह ठीक से काम करना बंद कर दे, तो शरीर में विषैले तत्वों का जमाव खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है।
किडनी खराब होने के प्रमुख कारण:
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर:
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर किडनी खराब होने के दो सबसे प्रमुख कारण हैं। डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर अधिक हो जाने से किडनी की रक्तवाहिनियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। वहीं, हाई ब्लड प्रेशर से किडनी की फिल्टरिंग यूनिट (नेफ्रॉन) पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। लंबे समय तक ये दोनों समस्याएं बनी रहने पर किडनी धीरे-धीरे खराब होने लगती है, जिससे डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।
अधिक दवाओं का सेवन:
बिना डॉक्टरी सलाह के पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉइड्स जैसी दवाओं का अत्यधिक सेवन किडनी के लिए ज़हरीला सिद्ध हो सकता है। ये दवाएं किडनी की फिल्टर करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं और उसके ऊतकों को क्षति पहुंचाती हैं। खासतौर पर लंबे समय तक दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्तियों को किडनी फेलियर का जोखिम अधिक रहता है। इसलिए किसी भी दवा का सेवन नियमित और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार करना आवश्यक होता है।
असंतुलित जीवनशैली:
गलत खानपान, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, कम पानी पीना और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसी असंतुलित जीवनशैली किडनी को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है। शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ने लगता है और किडनी पर अतिरिक्त भार पड़ता है। इसके अलावा मोटापा और तनाव भी किडनी के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अगर समय रहते जीवनशैली में बदलाव न किया जाए, तो किडनी फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण:
बार-बार पेशाब आना या बिल्कुल ना आना:
किडनी खराब होने का एक प्रमुख संकेत पेशाब की आदतों में बदलाव है। कुछ लोगों को बार-बार पेशाब आने लगता है, विशेष रूप से रात में, जबकि कुछ को बहुत कम या बिल्कुल पेशाब नहीं आता। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि किडनी शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को सही तरीके से फ़िल्टर नहीं कर पा रही है। पेशाब का रंग बदल जाना, झागदार पेशाब या उसमें जलन भी किडनी की गड़बड़ी दर्शाते हैं।
हाथ-पैरों में सूजन:
किडनी जब ठीक से काम नहीं करती तो शरीर में तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे विशेषकर टखनों, पैरों और हाथों में सूजन आ जाती है। यह सूजन अक्सर सुबह के समय अधिक स्पष्ट दिखाई देती है। कई बार चेहरे पर भी फुलाव नजर आता है। यह इस बात का संकेत है कि शरीर से सोडियम और अन्य तरल तत्व सही तरह से बाहर नहीं निकल रहे हैं, जो किडनी की खराबी को दर्शाता है।
थकान और कमजोरी:
किडनी खराब होने पर शरीर में विषैले पदार्थ और अपशिष्ट इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति को लगातार थकान महसूस होती है। किडनी द्वारा बनाए जाने वाला हार्मोन 'एरिथ्रोपोइटिन' लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और इसकी कमी से एनीमिया हो सकता है। इसके कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे कमजोरी, ध्यान की कमी और ऊर्जा की भारी कमी महसूस होती है।
गंभीर अवस्था के लक्षण:
सांस लेने में तकलीफ:
किडनी के सही से कार्य न करने पर शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं, जो फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। इससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है, खासकर थोड़ी सी मेहनत के बाद भी। इसके अलावा, एनीमिया के कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे सांस फूलने लगता है। अगर बिना किसी कारण के सांस फूलने लगे, तो यह किडनी से जुड़ी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
उल्टी और मतली:
किडनी जब अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती, तो ये विषैले तत्व खून में जमा होने लगते हैं। इससे पाचन प्रणाली प्रभावित होती है, और व्यक्ति को लगातार मतली महसूस होती है या उल्टी हो सकती है। इस वजह से भूख कम हो जाती है, और शरीर कमजोर होता चला जाता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो किडनी की गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
शरीर में खुजली और त्वचा का रूखापन:
किडनी शरीर से अपशिष्ट पदार्थों के साथ-साथ खनिजों का संतुलन भी बनाए रखती है। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में फॉस्फोरस जैसे तत्व बढ़ने लगते हैं, जिससे त्वचा पर खुजली और जलन महसूस होती है। इसके अलावा, रूखी और बेजान त्वचा भी किडनी के गड़बड़ होने का संकेत हो सकती है। यह संकेत तब और गंभीर हो जाता है जब कोई अन्य लक्षण साथ में दिखाई दें।
किडनी की समस्या का समय रहते पता कैसे लगाएं?
किडनी की बीमारियाँ अक्सर बिना लक्षण के प्रारंभ होती हैं, इसलिए समय पर पहचानना मुश्किल हो सकता है। समय-समय पर किडनी की नियमित जांच कराना सबसे बेहतर तरीका है। अगर पेशाब में बदलाव, थकान, सूजन या भूख में कमी जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए। अगर परिवार में किडनी रोग का इतिहास हो या डायबिटीज व हाई बीपी हो, तो विशेष सतर्कता जरूरी है। जल्दी पता चलने पर इलाज भी आसान और सफल होता है।
किडनी खराब होने के लक्षण, घरेलू उपाय Symptoms of kidney failure, home remedies.
नियमित जाँच की ज़रूरत:
किडनी की नियमित जांच, विशेषकर यदि आप जोखिम में हों, अत्यंत जरूरी है। इसमें यूरिन और ब्लड टेस्ट (क्रिएटिनिन, यूरिया) से किडनी की कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। यह जांचें प्रारंभिक अवस्था में ही किडनी की समस्याओं को पकड़ सकती हैं, जिससे बीमारी बढ़ने से पहले ही इलाज शुरू किया जा सकता है। यदि कोई पुरानी बीमारी है या दवाएं नियमित चल रही हैं, तो टेस्ट जरूर कराएं।
यूरिन और ब्लड टेस्ट का महत्व:
यूरिन और ब्लड टेस्ट किडनी की सेहत का सबसे पहला संकेत देते हैं। यूरिन टेस्ट से प्रोटीन, खून या संक्रमण का पता चलता है, जबकि ब्लड टेस्ट (क्रिएटिनिन और GFR) से यह मालूम होता है कि किडनी खून को कितनी अच्छी तरह साफ कर रही है। इन जांचों से किडनी की खराबी का प्रारंभिक स्तर पर ही पता लगाया जा सकता है, जिससे समय पर इलाज शुरू किया जा सके और गंभीर नुकसान से बचा जा सके।
किन लोगों को ज़्यादा सतर्क रहना चाहिए?
डायबिटीज और हाई बीपी के मरीज:
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण हैं। इन रोगों से किडनी की रक्त वाहिनियाँ धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं। ऐसे मरीजों को हर 6 महीने पर किडनी फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए। यदि समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो धीरे-धीरे किडनी अपनी कार्यक्षमता खो देती है। इसलिए इन रोगों से ग्रस्त लोगों को नियमित जांच, दवा का सही सेवन और संतुलित जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
40 साल से अधिक उम्र वाले:
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर के अंगों की कार्यक्षमता धीमी होने लगती है और किडनी भी इससे अछूती नहीं रहती। 40 वर्ष की आयु के बाद किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घट सकती है, खासकर यदि व्यक्ति मोटापा, हाई बीपी या डायबिटीज से ग्रस्त हो। इसलिए 40 की उम्र के बाद सभी को किडनी की सालाना जांच करवानी चाहिए और हेल्दी डाइट व व्यायाम को जीवनशैली में शामिल करना चाहिए।
घरेलू उपाय और रोकथाम के टिप्स:
पानी का भरपूर सेवन:
पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है और किडनी को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। प्रतिदिन 2 से 3 लीटर पानी पीने से किडनी के फिल्टरिंग सिस्टम पर दबाव नहीं पड़ता और यूरिन भी साफ बना रहता है। पर्याप्त पानी का सेवन पथरी बनने से भी रोकता है। हालांकि, किसी भी मेडिकल स्थिति में डॉक्टर की सलाह से पानी की मात्रा तय करना बेहतर होता है।
नमक और चीनी की मात्रा कम करें:
अधिक नमक और चीनी का सेवन ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर बढ़ाकर किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालता है। नमक में मौजूद सोडियम शरीर में पानी रोकता है, जिससे सूजन और किडनी की कार्यक्षमता घटती है। वहीं, अतिरिक्त चीनी से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। रोज़मर्रा के भोजन में नमक व चीनी की मात्रा सीमित रखनी चाहिए और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करना किडनी को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
नियमित व्यायाम और योग करें:
नियमित व्यायाम और योग किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में बेहद मददगार हैं। ये शारीरिक वजन को नियंत्रित रखते हैं, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को संतुलन में रखते हैं और तनाव कम करते हैं, जिससे किडनी पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। रोज 30 मिनट की वॉक, योग या हल्का-फुल्का व्यायाम करना चाहिए। कपालभाति, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम किडनी को लाभ पहुंचाते हैं।
कब डॉक्टर से मिलना चाहिए?
अगर पेशाब में कोई गड़बड़ी हो (रंग, मात्रा, बारंबारता), शरीर में सूजन आए, बार-बार थकान महसूस हो, सांस फूलने लगे, या भूख और वजन अचानक घटने लगे—तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। साथ ही, यदि पहले से डायबिटीज, हाई बीपी या किडनी से जुड़ी कोई समस्या है, तो नियमित फॉलो-अप जरूरी है। किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है और बीमारी बढ़ने पर इलाज कठिन हो जाता है।
इलाज के विकल्प:
दवा और डाइट थेरेपी:
किडनी की प्रारंभिक समस्याओं का इलाज दवाओं और उचित डाइट से किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह अनुसार ब्लड प्रेशर, शुगर और प्रोटीन के स्तर को नियंत्रित करने वाली दवाएं दी जाती हैं। साथ ही, कम प्रोटीन, कम सोडियम और संतुलित पोषण वाली डाइट दी जाती है जिससे किडनी पर दबाव कम हो। समय पर इलाज और संतुलित खानपान से किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है।
डायलिसिस और ट्रांसप्लांट:
जब किडनी 85-90% तक खराब हो जाती है, तब डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। ऐसे में डायलिसिस एक जीवनरक्षक प्रक्रिया होती है, जो मशीन की मदद से खून को फिल्टर करती है। यह प्रक्रिया सप्ताह में कई बार करनी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर, किडनी ट्रांसप्लांट एक स्थायी समाधान माना जाता है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति की किडनी मरीज को प्रत्यारोपित की जाती है। सफल ट्रांसप्लांट के बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है, लेकिन इसके लिए आजीवन दवाएं लेनी होती हैं। दोनों विकल्प जीवन बचाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
किडनी हमारे शरीर का साइलेंट हीरो है। इसके खराब होने के लक्षण शुरू में मामूली लग सकते हैं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज करना भारी पड़ सकता है। इस लेख में बताए गए लक्षणों और उपायों को अपनाकर आप किडनी की बीमारी से बच सकते हैं। याद रखें — समय पर पहचान ही सबसे बड़ा इलाज है।
किडनी खराब होने के लक्षण, घरेलू उपाय Symptoms of kidney failure, home remedies.
अस्वीकरण:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें बताए गये किडनी खराब होने के लक्षण और उपाय किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह या उपचार का विकल्प नहीं हैं। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहेगा। घरेलू नुस्खे कुछ लोगों को लाभ पहुंचा सकते हैं, परंतु हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है। स्वयं उपचार करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें। लेखक किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। स्वास्थ्य संबंधी निर्णय सोच-समझकर लें। अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य सुझाव और जानकारी की अस्वीकरण नीति को पढ़ें। लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
किडनी खराब होने का पहला संकेत क्या है?
किडनी खराब होने का पहला संकेत शरीर में सूजन आना होता है, खासकर पैरों, टखनों और चेहरे पर। इसके अलावा बार-बार पेशाब आना, थकान महसूस होना, पेशाब का रंग बदलना और आंखों के नीचे सूजन जैसे लक्षण भी शुरुआत में दिख सकते हैं। ये लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन अनदेखा नहीं करना चाहिए।
किडनी की बीमारी के 10 संकेत क्या हैं?
पैरों और चेहरे में सूजन, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में झाग या खून, अत्यधिक थकान, भूख न लगना, सांस फूलना, मांसपेशियों में ऐंठन, मतली या उल्टी, एकाग्रता में कमी, हाई ब्लड प्रेशर। इन लक्षणों के दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
किडनी फेल होने का पता कैसे चलता है?
किडनी फेल होने का पता ब्लड टेस्ट (क्रिएटिनिन और GFR) और यूरिन टेस्ट से चलता है। लक्षणों में पेशाब में कमी, शरीर में सूजन, उल्टी, कमजोरी और सांस लेने में परेशानी शामिल हैं। डॉक्टर कभी-कभी अल्ट्रासाउंड या बायोप्सी भी करवा सकते हैं। शुरुआती जांच से बीमारी पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सकता है।
किडनी किस कारण से खराब होती है?
किडनी खराब होने के मुख्य कारण हैं: डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, बार-बार होने वाला पेशाब संक्रमण, दवाओं का अधिक सेवन, शराब या धूम्रपान, और पानी की कमी। इसके अलावा कुछ जेनेटिक कारण या किडनी में पथरी भी नुकसान कर सकते हैं। संतुलित जीवनशैली और नियमित जांच से किडनी को बचाया जा सकता है।
किडनी खराब होने के लक्षण और उपाय?
लक्षणों में सूजन, थकान, भूख की कमी, झागदार पेशाब, और ब्लड प्रेशर बढ़ना शामिल हैं। उपायों में पर्याप्त पानी पीना, कम नमक खाना, ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल में रखना, दर्दनिवारक दवाओं का सीमित उपयोग, और समय-समय पर किडनी की जांच करवाना शामिल है। सही समय पर ध्यान देने से गंभीर स्थिति टाली जा सकती है।
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