दांतों में इन्फेक्शन का इलाज. Treatment of tooth infection in Hindi :
दांतों में इन्फेक्शन का इलाज. Treatment of tooth infection in Hindi :
मनुष्य के जीवन में दांतों का बहुत बड़ा महत्व है। सबसे पहले दांत हमारी आहार प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं जो भोजन को चबाने या पीसने में मदद करते हैं। अच्छे दांत स्वास्थ्य के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ठीक से चबाया गये भोजन को पचाने में आसानी होता है जिससे शरीर को उचित पोषण मिलता है।
ये न सिर्फ खाना चबाने का जरिया हैं बल्कि इंसान की हंसी और खूबसूरती में भी दांतों का बहुत बड़ा योगदान होता है। जिस प्रकार हमारे शरीर में आँख, नाक ,कान, मुह आदि का अपना महत्व है उसी प्रकार दांतों का भी अपना बहुत बड़ा महत्व है स्वस्थ दांत व्यक्ति की ख़ुशी और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। इसलिए दांतों का स्वस्थ रहना बहतु जरुरी है लेकिन बहुत सारे लोग अपने दाँतों में इन्फेक्शन से परेशान हैं अब दांतों में इन्फेक्शन कई कारणों से हो सकता है। सबसे सामान्य कारणों में से एक है कैरिएस (दांतों में सड़न) दांतों की बराबर सफाई न करना जिससे दांतों और मसूड़ों के बीच में बैक्टीरिया जमा हो जाते है। यह बैक्टीरिया ही दांतों में कीड़ों का कारण बनते है इसके अलावा अगर दांतों में कैविटी हो, दांत में चोट लगी हो, मसूड़ों में सूजन हो या दांत की किसी भाग में फंगस या वायरस का प्रवेश हो, दांतों में रक्तसंचार की कमी हो, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली होने से या अधिक सुगर युक्त आहार का सेवन करने से, धूम्रपान करने से और अगर दांतों में किसी घाव का सही से इलाज न हो पाए तो इन बिभिन्न समस्याओं से दांतों में इन्फेक्शन हो जाता हैं और दांत खराब होने लगते हैं। अब मुख्य बात यह है कि दांतों में इन्फेक्शन का सही इलाज़ क्या है तो चलिए इस लेख में हम जानते है दांतों में इन्फेक्शन का सही इलाज़ या सरल उपायों के बारे में जो हमको दांतों को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करेगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें।
दांतों में इन्फेक्शन का इलाज. Treatment of tooth infection in Hindi :
दांतों में इन्फेक्शन के इलाज की विधियाँ :
दंतचिकित्सा (Dentistry) :
दंतचिकित्सा जिसे डेंटल ट्रीटमेंट भी कहा जाता है, यह दांतों और मुख क्षेत्र के रोगों के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा शाखा है। यह इंफेक्शन, सूजन, दर्द और अन्य दांतों से संबंधित समस्याओं का उपचार करती है। दंतचिकित्सा का पहला कदम बिमारी की समीक्षा करना होता है, जिसमें डेंटिस्ट बिमारी की जाँच करके उच्चतम स्तर का इन्फेक्शन या समस्या का मूल्यांकन करते है। इसके बाद उपयुक्त डायग्नोस्टिक टेस्ट्स और रेडिओग्राफी का उपयोग करके सटीक X-रे की छवियाँ ली जाती हैं।
इंफेक्शन के स्तर के आधार पर दंतचिकित्सक विभिन्न उपायों का सुझाव देते हैं जैसे कि रूट कैनाल थेरेपी, दांतों का पुनर्निर्माण और यदि आवश्यक हो तो दांत का निकालना। इसमें नैतिकता,आधुनिक उपकरणों का उपयोग और प्रयोगशील तकनीकों का प्रयोग शामिल होता है। इसके माध्यम से दंतचिकित्सा बिमारी को सुरक्षित रूप से स्वास्थ्य की सबसे उच्च गुणवत्ता उपचार प्रदान करने का प्रयास करती है।
एंटीबायोटिक्स का उपयोग :
दांतों का संक्रमण एक आम समस्या है और इससे दर्द, सूजन और बैक्टीरिया संक्रमण हो सकता है। दांतों के संक्रमण के इलाज में एंटीबायोटिक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एंटीबायोटिक्स संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
एंटीबायोटिक दवाओं के सही चयन से डॉक्टर संक्रमण के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में सफल होते हैं। ये बढ़ते बैक्टीरिया संबंधी विकारों को रोकने में भी सहायता करते हैं, जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
दांतों की सफाई करना :
दांतों के संक्रमण के इलाज में दांतों की सफाई महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उचित स्वच्छता बनाए रखने से दांतों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। सबसे पहले, दांतों की नियमित सफाई दांतों की सतह पर जमा होने वाले बैक्टीरिया और कीटाणुओं को हटा देती है। इससे बैक्टीरिया की वृद्धि और संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। ठीक से ब्रश करना, फ्लॉसिंग करना और सफाई के लिए माउथवॉश का उपयोग करना दंत रोग को रोकने में मदद करता है। यह दांतों, मसूड़ों और मसूड़ों के बीच की जगहों को साफ रखने में सहायक होते है जहां बैक्टीरिया आसानी से जमा हो सकते हैं।
सफाई के माध्यम से मुंह के आंतरिक स्वास्थ्य की रक्षा करना संभव है और इससे दांतों की स्थिति में सुधार होता है। यदि दांतों की ठीक से सफाई नहीं की गई तो बैक्टीरिया संबंधी विकार और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है जिससे दर्द, सूजन और अन्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
रूट कैनाल थेरेपी (Root Canal Therapy) :
दांतों के संक्रमण के सफल और प्रभावी इलाज में रूट कैनाल थेरेपी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह चिकित्सा प्रक्रिया दांत के गूदे (नसों) में संक्रमण, दर्द और सूजन में सुधार के लिए की जाती है। रूट कैनाल थेरेपी का महत्व यह है कि यह दांत को बचाता है और संक्रमण को रोकने में मदद करता है जिससे दांतों की स्थिति में सुधार होता है और दर्द और सूजन कम होती है। दांतों की गुदे में संक्रमण होने पर उसे निकालकर साफ कर दिया जाता है और उस स्थान को भर दिया जाता है अर्थात दांत को खराब होने से बचाने के लिए कैपिंग कर दी जाती है।
आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग :
आयुर्वेद में दांतों के इलाज के लिए कई प्राकृतिक उपचार मौजूद हैं जो दांतों को स्वस्थ रखने और दांतों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
दांतों के रोगों में नीम के पत्ते, बबूल की छाल, लौंग का तेल, अदरक और तुलसी के पत्ते बहुत उपयोगी होते हैं। जो दांतों की समस्याओं के इलाज में कारगर हैं। इनमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो मुंह को साफ करने और मसूड़ों को संक्रमित होने से बचाती हैं।
आयुर्वेद के महत्व के बारे में जानने के लिए क्लिक करें ..
धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से बचाव करना :
दांतों को संक्रमित होने से बचाने के लिए धूम्रपान से बचना बहुत जरुरी है क्योंकि यह दांतों के स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करता है। धूम्रपान से मुंह में जलन, मसूड़ों में सूजन और दुर्गंध जैसी समस्याएं होने लगती हैं जिससे दांतों में संक्रमण बढ़ सकता है।
धूम्रपान करने से दांतों में मैल बढ़ता है जिससे दांतों के बीच की सुरक्षा कमजोर हो जाती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान के धुए में निकोटिन और टार होने के कारण दांत पीले व् दागदार हो जाते है जिससे बैक्टीरिया का विकास तेज़ी से होने लगता है। इसलिए धूम्रपान से बचने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी धूम्रपान की आदतों पर नियंत्रण रखें या पूरी तरह से छोड़ दें।
गरारा (Rinsing) करना :
दांतों के इलाज में गरारे करना एक सरल और प्रभावी तकनीक है जो मुंह को साफ करने और दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है। गरारे करने से मुंह में मौजूद कीटाणु, बैक्टीरिया और अन्य कीड़े दूर हो जाते हैं जिससे दांतों के संक्रमण से सुरक्षा मिलती है।
गरारे करने के लिए गुणवत्तापूर्ण माउथवॉश चुनें जो जीवाणुरोधी या एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर हो। नमक, लौंग, एलोवेरा, नीम का रस या तुलसी का काढ़ा इसके लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं। ये सभी तत्व दांतों के आसपास सूजन और दर्द को कम करने और मुंह में ताजगी लाने में मदद करते हैं।
नीम के तेल का उपयोग :
दांतों के संक्रमण के इलाज में नीम का तेल एक प्राकृतिक औषधि के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीम के तेल को माउथवॉश के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और इसे सीधे दांतों की सतह पर लगाया जा सकता है या गरारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम के तेल में विशेष रूप से जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो बैक्टीरिया और कीटाणुओं को नष्ट करते हैं जिससे दांत साफ होते है। नीम के तेल का उपयोग करने से मुंह में जलन, सूजन और दर्द से राहत मिलती है और संक्रमण कम होता है।
लौंग के तेल का उपयोग :
दांतों के रोगों के इलाज में लौंग का तेल एक प्रमुख और रामबाण औषधि है जिसमें विशेष रूप से जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं। यह तेल दांतों की सफाई, सुरक्षा और संक्रमण से बचाने में मदद करता है।
लौंग के तेल में पाए जाने वाले सक्रिय घटक जैसे यूजेनॉल और एचडीआई, एंटीवायरल गुणों को बढ़ावा देते हैं जो बैक्टीरिया और कीटाणुओं के खिलाफ प्रभावी होते हैं। यह दांतों के क्षेत्र में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है जिससे संक्रमण कम हो जाता है।
दांतों में इन्फेक्शन का इलाज. Treatment of tooth infection in Hindi :
एलोवेरा जेल का उपयोग :
दांतों के इलाज़ में एलोवेरा जेल एक प्राकृतिक औषधि के रूप में जाना जाता है जिसमें विभिन्न गुण मौजूद होते हैं जो दांतों के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी साबित होते हैं।
दांतों में सूजन और दर्द को कम करने के लिए एलोवेरा जेल का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो दांतों के संक्रमण से लड़ने में और मसूड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
हल्दी और नमक के पेस्ट का उपयोग :
दांतों के संक्रमित होने पर इनके सफल इलाज़ के लिए हल्दी और नमक का पेस्ट एक प्राचीन और प्रभावी घरेलू उपचार है। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो दांतों के कीटाणुओं और बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होते हैं और साथ ही नमक एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है और सूजन को कम करने में मदद करता है।
हल्दी और नमक का पेस्ट तैयार करने के लिए एक चम्मच हल्दी पाउडर में एक चम्मच नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें. इस पेस्ट को दांतों पर लगाएं और धीरे-धीरे मसाज करें, कुछ मिनट तक मुंह में रखें और फिर पानी से कुल्ला कर लें।
तेज पत्तियों का पानी :
दांतों के संक्रमण के इलाज में तेज पत्ते के पानी को प्राकृतिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तेज पत्ते में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो दांतों में मौजूद कीटाणुओं और बैक्टीरिया से लड़ते हैं। तेज पत्ते के पानी का उपयोग करने से सूजन, दर्द और दांतों के संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।
तेज पत्ते का पानी बनाने के लिए एक कप पानी में कुछ तेज पत्ते उबालें और इसे ठंडा होने दें। इस पानी का उपयोग कुल्ला करने या दांत साफ करने के लिए करें।
कालीमिर्च के पाउडर का उपयोग :
काली मिर्च पाउडर अपने जीवाणुरोधी गुणों के कारण दांतों के संक्रमण को कम करने में मदद करने के साथ-साथ यह बैक्टीरिया के विकास को रोकने में सक्षम होता है और सूजन को कम करने में सहायक होता है। काली मिर्च में पिपेरिन नामक यौगिक होता है जो इसे एक प्राकृतिक औषधि के रूप में पहचान देता है। अपने एंटीसेप्टिक गुणों के कारण काली मिर्च दांतों की रक्षा करता है और संक्रमण को बढ़ने से रोकता है।
होमियोपैथिक उपचार :
दांतों के संक्रमण के इलाज में होम्योपैथिक उपचार एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प होता है। होम्योपैथी एक प्रकार की आधुनिक चिकित्सा है जिसमें शरीर की प्राकृतिक शक्तियों का सहारा लिया जाता है ताकि व्यक्ति स्वस्थ रह सके। होम्योपैथिक उपचार की एक विशेषता यह है कि यह व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य और उनके उपचार को ध्यान में रखता है। दांतों के संक्रमण के इलाज में होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति के लक्षणों संवेदनशीलता और शारीरिक प्रक्रियाओं के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। विभिन्न उपचारों में सहायता के लिए विभिन्न होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
पेन किलर्स का उपयोग :
दांतों में संक्रमण के कारण होने वाले दर्द के इलाज में पेन किलर्स दवाएं बहुत आराम दायक साबित होती है। दांतों में होने वाला दर्द अक्सर कई लोगों को परेशान करता है और दर्द निवारक दवाएं इसमें बहुत मदद करती हैं। जिससे व्यक्ति को जल्दी दर्द से राहत मिलती है। अक्सर दांतों के संक्रमण से जुड़े दर्द को रोकने के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं में दर्द निवारक दवाएं शामिल होती हैं जैसे पेरासिटामोल, इबुप्रोफेन या ओपियेट्स जैसे टेबलेट जिनका सही तरीके से सेवन करना दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता हैं और शरीर को आराम पहुचता हैं।
मसूड़ों की सफाई करना :
दांतों में संक्रमण होने पर मसूड़ों को साफ करना बहुत जरुरी है क्योंकि यह कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोक सकता है और मुंह के अंदर के बैक्टीरिया को नष्ट करता है।
यदि मसूड़ों के बीच संक्रमण हो तो यह दांतों को खराब कर देता है और दांतों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए मसूड़ों की सफाई करने से दंत पट्टिका अर्थात दांतों पर होने वाली पीली परत से छुटकारा पाने में मदद मिलती है जिससे संक्रमण फैलने से रुक जाता है। मसूड़ों की ठीक से सफाई करने से दांतों की चमक भी बनी रहती है और दांतों का पीलापन दूर होता है।
दांतों को निकालना (Extraction) :
दांत निकालना जिसे दंत अस्थिका निकालना भी कहा जाता है यह एक अंतिम उपाय है जब दांतों को बहुत अधिक नुकसान हो चुका हो और उनकी मरम्मत संभव नहीं हो। दांतों का निकालना अक्सर इंफेक्शन, दर्द या गंभीर दन्तरोग के मुख्य उपचार के रूप में किया जाता है।
इस प्रक्रिया में दांत को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाता है। और इसके इलाज में एनेस्थेटिक का इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम मिले। दांत निकालने के बाद डॉक्टर द्वारा इन्फेक्शन से बचाव और जल्दी ठीक होने के लिए उपयुक्त दवाओं का प्रयोग करने को कहा जाता है साथ ही समय पर उचित और सावधानीपूर्वक देखभाल के साथ यह प्रक्रिया आमतौर पर सफल होती है और रोगी को आराम प्रदान करती है।
X-रे और डायग्नोस्टिक टेस्ट :
दांतों के संक्रमण में एक्स-रे और डायग्नोस्टिक टेस्ट का उपयोग समस्या का सटीक और त्वरित निदान करने में महत्वपूर्ण है। एक्स-रे एक अनोखी तकनीक है जो दांतों के अंदरूनी हिस्सों को देखने में मदद करती है। यह बताता है कि संक्रमण ने दांत की संरचना को कैसे प्रभावित किया है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
डायग्नोस्टिक टेस्ट परीक्षण दांतों के इन्फेक्शन का स्तर समझने में मदद करता हैं। इन टेस्टों से डॉक्टर्स को इन्फेक्शन के कारण होने वाले दांतों के नुकसान का सही से मूल्यांकन करने में सहायता मिलती है।
दांतों में इन्फेक्शन का इलाज. Treatment of tooth infection in Hindi :
निष्कर्ष :
दाँत के संक्रमण का उपचार उसके स्तर और गंभीरता पर निर्भर करता है। । सबसे पहले डेंटिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। उपचार में पहला कदम संक्रमण का कारण निर्धारित करना है। यदि संक्रमण गंभीर है तो डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक्स दवाई लिखेंगे जो जीवाणु संक्रमण को नष्ट करने में मदद करती हैं। संक्रमण के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं भी दी जा सकती हैं। स्थिति के आधार पर दंत चिकित्सक अन्य उपायों की भी सिफारिश कर सकता है जैसे रूट कैनाल थेरेपी या दांत निकालना। इसके अलावा कुछ सरल घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक उपचार भी दांतों में इन्फेक्शन के इलाज़ में कारगर साबित हो सकते है। दांतों को स्वस्थ बनाये रखने के लिए स्वस्थ खान-पान, दांतों की सही प्रकार से देखभाल और नियमित दांतों की जांच करवाना चाहिए। इससे भविष्य में संक्रमण की संभावना कम हो जाती है और दांतों ठीक रहते है।
अस्वीकरण :
ध्यान दें कि यह सुझाव केवल जानकारी देने के उद्देश्य से व् शिक्षा के उद्देश्य से हैं और यदि आपको दांतों में इन्फेक्शन है तो आपको एक पेशेवर दंतचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इन्फेक्शन का उपचार व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति और इन्फेक्शन के स्तर पर निर्भर करता है और डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी उपचार को शुरू नहीं करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQ :
दांत में इन्फेक्शन हो जाए तो क्या करें?
दाँत का संक्रमण एक गंभीर स्थिति है और इसका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए। सबसे पहले, संक्रमण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए दंत चिकित्सक से मिलें। वे आपके दांतों की स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और उचित उपचार की सिफारिश करेंगे। आमतौर पर दांतों के संक्रमण का इलाज दांतों से कीड़े निकालकर और दवाएं लेकर किया जाता है। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का पालन करें और आवश्यकता पड़ने पर रूट कैनाल थेरेपी करवाएं। इसके अलावा, अच्छी देखभाल की आदतें, जैसे नियमित ब्रश करना, फ्लॉसिंग और फ्लॉसिंग भी महत्वपूर्ण हैं।
दांत खराब होने पर कौन सा रोग होता है?
दांतों की कमजोरी और खराबी के कारण होने वाले रोग को 'दंत रोग' कहते हैं। यह रोग कई कारणों से हो सकता है, जैसे अच्छी देखभाल की कमी, गलत खान-पान, दांतों का अधिक बढ़ना और दांतों की सफाई में लापरवाही। पेरियोडोंटाइटिस के लक्षणों में दांत में दर्द, सूजन, मसूड़ों से खून आना और दांत की कमजोरी शामिल होती हैं। यह रोग दांतों की संरचना को खराब करके मसूड़ों को प्रभावित करता है, जिससे दांत खराब होते हैं। दंत रोग को रोकने के लिए नियमित दांतों की जांच, उचित खान-पान और अच्छी स्वच्छता की आदतें बनाए रखना जरुरी है।
मसूड़े फूलने का क्या कारण होता है?
मसूड़ों में सूजन एक आम और चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या है जिसे 'मसूड़े की सूजन' कहा जाता है। इसमें मसूड़ों की सूजन, लालिमा और रक्तस्राव शामिल है। इसका मुख्य कारण मसूड़ों के आसपास जमा होने वाले प्लाक (दांतों पर बैक्टीरिया) का बढ़ना होता है, जिससे दांतों के आसपास सूजन और जलन होती है। यह सबसे आम कारण है, लेकिन कुछ और भी कारण भी हो सकते हैं जैसे- ठंडा या गर्म भोजन और पेय पदार्थ, रेशेदार दांतों के लक्षण, या शरीर में हार्मोनल परिवर्तन।
पायरिया रोग कैसे होता है?
पायरिया, जिसे मसूड़े की सूजन के रूप में भी जाना जाता है, मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है जिसमें मसूड़ों (मसूड़ों के क्षेत्र) में सूजन और जलन होती है। यह रोग अधिकतर बैक्टीरिया के कारण होता है जो प्लाक और टार्टर के समुच्चय में पनपते हैं। अगर मसूड़ों में सूजन बढ़ जाए और इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह समस्या पायरिया का कारण बन सकती है। लक्षणों में मसूड़ों से खून आना, दांतों की सुरक्षा करने वाली पट्टियों का नष्ट होना और सांसों से दुर्गंध आना शामिल होता हैं। दांतों की उचित देखभाल, नियमित दंत चिकित्सा देखभाल और स्वस्थ आहार से पायरिया को रोका जा सकता है। यदि किसी में इस बीमारी के लक्षण हों तो उन्हें दंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
मसूड़े फूलने पर कौनसी दवाई लगानी चाहिए?
मसूड़ों में सूजन के लिए दवा का चुनाव आमतौर पर स्थिति के कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। सबसे पहले, व्यक्ति को एक दंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, आमतौर पर, मसूड़ों की सूजन के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करने के लिए एलोवेरा माउथवॉश, क्लोरहेक्सिडिन और एनाल्जेसिक का उपयोग किया जा सकता है। इसमें आमतौर पर दर्द निवारक और इबुप्रोफेन शामिल होते हैं। यदि मसूड़ों में सूजन और संक्रमण है तो डॉक्टर विशेषज्ञता के आधार पर एंटीबायोटिक्स भी दे सकते हैं। हालाँकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दवाएँ केवल डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही लेनी चाहिए।
Post a Comment