मुँहासे होने का कारण क्या है? घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय :

 

मुँहासे होने का कारण क्या है? घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय:


मुँहासे जिन्हें अक्सर Acne या पिम्पल्स भी कहा जाता है, यह एक त्वचा की समस्या है जो त्वचा के ऊपर छोटे दाने या गांठों के रूप में प्रकट होती है। आमतौर पर यह प्रॉब्लम युवा और किशोरावस्था में 17 से 21 वर्ष तक के व्यक्तियों में ज्यादा देखा जाता है, साथ ही मुहासे किसी भी आयु के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। मुहासे एक ऐसी बिमारी है जो चेहरे पर होती है जिसका सीधा असर ब्यक्ति की सुन्दरता पर पड़ता हैं। अब मुहासे होने के कई कारण होते है लेकिन मुख्य बात यह है की इनसे छुटकारा कैसे पाया जाए तो चलिए जानते है मुहासे होने का कारण और इनसे छुटकारा पाने के क्या उपाय होते है।

मुँहासे होने का कारण क्या है?  घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय :


मुँहासे होने का कारण:


हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण:

हॉर्मोनल परिवर्तन से मुहासे होना एक आम समस्या है। जो हॉर्मोनल परिवर्तन जीवनकाल में कई स्थितियों में हो सकता है जैसे कि बच्चे के जन्म के समय, किशोरावस्था, गर्भावस्था और मेनोपॉज। किशोरावस्था में अधिकांश मुहासों का कारण हॉर्मोनल परिवर्तन ही होता है। इस अवस्था में जब युवाओं का शरीर बड़ता है और यौन हॉर्मोनों की मात्रा में वृद्धि होती है जिससे त्वचा से अधिक तेल निकलता है। इससे पोर्स बंद हो जाते हैं और मुहासे निकलने लगते हैं।
इन हॉर्मोनल परिवर्तनों के साथ सही त्वचा केयर, स्वस्थ आहार और नियमित रूप से साफ-सफाई का ध्यान रखने से मुहासों को कम करने में मदद मिलती है। यदि कोई व्यक्ति मुहासों की समस्या से परेशान है, तो उन्हें एक विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होगा।


तेल का अधिक उपयोग के कारण:

मुँहासे का मुख्य कारण तेल का अधिक उपयोग हो सकता है जिससे त्वचा के पोर्स बंद हो जाते हैं और त्वचा के अंदर बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। तेल का उपयोग अधिक मात्रा में होने से त्वचा पर सेबुम जिसे (त्वचा का तेल) कहा जाता है इसकी अधिकता बढ़ जाती है और मुँहासे होने लगते हैं। तेल से उत्त्पन्न होने वाले मुँहासे कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे कि सफेद या काले हेड, पैप्यूल्स, और नॉन-इन्फ्लैमेटरी मुँहासे।
तेल का प्रयोग को कम करने के लिए सही त्वचा केयर उत्पादों का उपयोग करें, जिसमें साबुन और एक्सफोलिएटर शामिल हो। हेल्थी आहार, पूर्ण नींद और साफ-सफाई का ध्यान रखना भी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यदि मुँहासे बार-बार हो रहे हैं, तो एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।


अनियमित भोजन के कारण:

अनियमित भोजन करना मुहासों के उत्पन्न होने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है। अनियमित भोजन से शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। हमारे आहार में फल, सब्जियां, अनाज और प्रोटीन की कमी होने से त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है और मुहासे होने लगते हैं। और साथ ही आहार में तरलता की कमी, अधिक मिठा और तला हुआ भोजन, ज्यादा मसालेदार खाना खाने से और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से मुहासे बढ़ने लगते है। इसलिए संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए और प्रतिदिन सही मात्रा में पानी पीने से साथ ही त्वचा की सही प्रकार से देखभाल करने से अनियमित भोजन से होने वाले मुहासों को कम किया जा सकता है।


प्रदूषण और धूल-मिट्टी के कारण:

प्रदूषण और धूल-मिट्टी त्वचा के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं और मुहासे होने का कारण बनते हैं। प्रदूषण और वायुमंडल की गंदगी व् धूल-मिट्टी भी त्वचा के लिए हानिकारक होती है क्योंकि इसमें मौजूद दूषित कणों के कारण त्वचा की सुरक्षा कमजोर हो जाती है और त्वचा के पोर्स बंद हो जाते हैं मुहासे निकलने लगते हैं। इसलिए प्रदूषण और धूल-मिट्टी से बचाव करना चाहिए।


स्त्री हार्मोन्स या ओवरी पॉलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम (PCOS) के कारण:

पॉलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम (PCOS) एक स्त्री गर्भाशय के रोग है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म और अन्य विभिन्न कारणों से गर्भाशय के ओवेरीज़ पर सिस्ट बनते हैं। यह समस्या चेहरे पर मुहासे निकलने का एक कारण होती है। जो महिलाओं के चेहरे पर मुहासे होना का PCOS एक सामान्य समस्या है। PCOS के लक्षण में मासिक धर्म की असमानता, यौन समस्याएं, वजन बढ़ना और चेहरे पर अत्यधिक तैलीयता शामिल होती हैं। इस प्रोब्लम को सही खानपान और नियमित व्यायाम व चिकित्सा विशेषज्ञ के परामर्श के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।


त्वचा के छिद्रों का बंद होने के कारण (Clogged Pores):

त्वचा के छिद्रों का बंद होना एक सामान्य त्वचा-स्वास्थ्य समस्या है जिस कारण चेहरे पर मुहासे निकलने लगते हैं। यह समस्या विभिन्न कारणों से हो सकती हैं। एक कारण है त्वचा के छिद्रों का अधिक संचित होना जिससे त्वचा में बहुत ज्यादा तैलीयता हो जाती है जिससे त्वचा के अंदर से तेल, मृत्य कोशिकाएं और बैक्टीरिया बाहर नहीं निकल पाती हैं और मुहासे निकलने लगते हैं। यह हॉर्मोनल परिवर्तन और अच्छे रूप से साफ-सफाई न करने से हो सकता है। त्वचा के छिद्रों के बंद होने से सूजन, खुजली और दर्द के साथ सफेद या black heads, papules और pimples उत्पन्न होने लगते हैं।
इस समस्या से बचने के लिए नियमित रूप से त्वचा की देखभाल करें, सही तरीके से साफ़ाई करें, सही आहार लें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। 


एलर्जी या रोगों के कारण:

एलर्जी या रोग से मुहासे होना एक सामान्य त्वचा समस्या है जो विभिन्न कारणों से हो सकती है एलर्जी के कारण, त्वचा में अतिरिक्त सूजन, खुजली हो सकती है जिससे त्वचा के तंतुओं में बदलाव होता है और मुहासे निकल सकते हैं। रोगों के दौरान शरीर अतिरिक्त स्तर पर इम्यून सिस्टम का आंतरिक रचना करता है जिससे शरीर को बीमारियों के खिलाफ लड़ने के लिए अधिक ऊर्जा चाहिए। इससे शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है जो त्वचा की तैलीयता को बढ़ाता है और मुहासे निकल सकते हैं।


मुँहासों का घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय:

मुँहासों के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचारों में कुछ प्रमुख उपचार निम्नलिखित हैं जिन्हें आप अपने त्वचा की देखभाल में शामिल कर सकते हैं। यह उपाय त्वचा की साफ-सफाई को बनाए रखने में और मुँहासों को ठीक करने में मदद करते हैं।


हल्दी और दही का उपयोग:

हल्दी और दही का मिश्रण मुंहासों को कम करने के लिए एक बहुत सरल एव अच्छा घरेलू उपाय है। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक गुण होता है जो एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। जो त्वचा की सुरक्षा करता हैं और मुंहासों को कम करने में मदद करता हैं। इसके अलावा हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही दही में लैक्टिक एसिड भी होता है, जो त्वचा की तेलियता को कम करने में सहायक होता है।
इस मिश्रण को अपनाने के लिए, हल्दी और दही को अच्छे से मिलाकर मास्क की तरह त्वचा पर लगाएं और 15-20 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें। इसका नियमित उपयोग करने से त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार होता है और मुंहासें कम होते हैं।


नीम के पत्तों का पेस्ट:

नीम के पत्तों का पेस्ट मुंहासों से निजात दिलाने में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है। नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं। इसमें विटामिन E, C,व विटामिन B, और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो त्वचा को जीवाणुओं के खिलाफ रक्षा करने में मदद करते हैं। साथ ही त्वचा संबंधित समस्याओं को नियंत्रित कर एक सुरक्षा कवच की भूमिका निभाते है। नीम का पेस्ट तैलीय त्वचा को शांति प्रदान कर सकता है और त्वचा के सूजन को कम करने में सहायक होता है।
इसका उपयोग करने के लिए नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाया जाता है। इसका पेस्ट बनाने के लिए नीम के पत्तों को धोकर पीस लें और पानी या गुलाब जल के साथ पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को मुहासों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ें, फिर ठंडे पानी से धो लें।


मेथी (Fenugreek) और शहद का मिश्रण:

मेथी और शहद का मिश्रण मुहासों के उपचार में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है। जो मुहासों को कम करने के लिए जाना जाता है। मेथी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो त्वचा इन्फेक्शन को कम करने में मदद करते हैं। और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं। इस मिश्रण को त्वचा पर लगाने के लिए मेथी का पाउडर और शहद को मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे मुहासों पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।


 हल्दी और शहद का उपयोग: 

हल्दी और शहद मुहासों के उपचार में एक सरल घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार है। इस मिश्रण को मुहासों पर लगाने से सूजन कम होती है, त्वचा का रंग सुधरता है और चेहरे की चमक बढ़ती है। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो त्वचा को बिना किसी साइड इफेक्ट के साथ मुहासों से निजात दिलाने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से लगाने से त्वचा स्वस्थ और सुंदर बनी रहती है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण और कुरकुमिन नामक एक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लैमेटरी तत्व होते है, जो त्वचा की सूजन को कम करते है। साथ ही हल्दी और शहद में एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण ये त्वचा के इंफेक्शन को कम करने में सहायक होते हैं। इसका उपयोग सामान्य तरीके से एक चम्मच हल्दी में शहद मिलाकर बनाएं और इसे15-20 तक मुँहासों पर लगाएं।


शहद और नींबू के मिश्रण का उपयोग:

शहद और नींबू का मिश्रण मुहासों के लिए एक बहुत प्रभावी उपचार हैं। शहद और नींबू में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो त्वचा को सूजन और इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। नींबू में विटामिन सी होता है जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। यह त्वचा संबंधित रोगों के प्रति और मुहासों को ठीक करने में सहायता करता है। और यह त्वचा को नरमी और ग्लो करने में भी सहायता करता है, जिससे त्वचा चमकदार बनती है।
इसका मिश्रण बनाने के लिए एक छोटी सी चम्मच शहद में एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं और इसे मुहासों पर 15 मिनट तक लगा कर रखने के बाद ठंडे पानी से साफ़ करना है। 


दही और पुदीनें (Mint) का उपयोग:

दही के साथ पुदीनें का मिश्रण त्वचा के लिए रामबाण घरेलू व् आयुर्वेदिक औषधी है मुहासों के उपचार में पुदीना और दही का संयोजन त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है। पुदीने में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण और दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स गुण मौजूद होते हैं जो त्वचा के इंफेक्शन को कम करने में मदद करते हैं। पुदीना और दही का मिश्रण त्वचा को ताजगी और ठंडक पहुंचाता है जिससे मुहासे और दाग-धब्बे कम होते हैं।
इसका मिश्रण बनाने के लिए पुदीने को पीसकर दही में मिलाएं और इस पेस्ट को मुँहासों पर लगाएं।


तुलसी (Basil) का उपयोग:

तुलसी को प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार के रूप में जाना जाता है और इसे त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए उपयोग किया जाता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को कीटाणुओं से बचाते हैं, जो मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी (Basil) को त्वचा पर लगाने के कई फायदे होते हैं इसके सुरक्षात्मक गुणों के कारण यह त्वचा की ताजगी को बनाये रखता है और धूप के कारण होने वाले नुकसान को भी कम करता है।
इसका उपयोग करने के लिए तुलसी के पत्ते को पीसकर रस निकालें और इसे मुँहासों पर लगाएं। तुलसी के पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे 20 मिनट तक मुहासों पर लगाने के बाद सफाई से धोना है।

मुँहासे होने का कारण क्या है?  घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय :

एलोवेरा जैल का उपयोग:  

एलोवेरा जैल मुहासों के उपचार में एक प्रमुख औषधि के रूप में प्रसिद्ध है जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। अलोवेरा जेल में विभिन्न गुण होते हैं, जैसे एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लैमेटरी, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स, जो त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को कम करके त्वचा को नरमी प्रदान करते है और मुहासों को ठीक करने में मदद करते हैं। हमेशा घरेलू प्राकृतिक अलोवेरा का ही उपयोग करना चाहिए जो शत-प्रतिशत आयुर्वेदिक होता है और मुहासों के इलाज में बहुत कारगर होता हैं।


टी ट्री ऑयल का उपयोग:

टी ट्री ऑयल एक प्राकृतिक तेल है। यह टी ट्री पेड़ की प्रमुख जातियों, विशेषकर "मेलेल्युका आल्टर्निफोलिया" वाले पेड़ के पत्तियों से निकलने वाला तेल होता है। यह ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के बीच प्राचीनकाल से उपयोग हो रहा है और आजकल यह विश्वभर में त्वचा और बालों की देखभाल के लिए प्रसिद्ध है। टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाये जाते हैं, जो त्वचा के इंफेक्शन से लड़ने में सहायता करता है। और यह त्वचा की सफाई के लिए, मुंहासों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह तेल अपने एंटीमाइक्रोबियल गुणों के लिए बहुत प्रसिद्ध है विशेषकर त्वचा के एक्जिमा और acne के इलाज में कारगर है।
टी ट्री ऑयल को सीधे मुहासे पर लगाने से पहले इसे एक सामान्य तेल के साथ मिलकर लगाना चाहिए ताकि यह त्वचा को नुकसान ना पहुंचाए। इसे रात में सोने से पहले लगाना चाहिए। यदि आपके मुहासे बहुत गंभीर हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेना सुरक्षित होगा।


पपीते (Papaya) के पेस्ट का उपयोग:

पपीते (Papaya) का पेस्ट मुहासों के उपचार में एक प्राकृतिक उपाय है जो पपीते में पाये जाने वाले एंजाइम्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन A, C और E की अच्छी मात्रा से भरपूर होते हैं त्वचा को स्वस्थ और सुंदर बनाए रखने में मदद करता है। पपीते में पाया जाने वाला पैपेन एंजाइम त्वचा के लिए लाभदायक और मुहासों को कम करने में सहायक होता है। यह acne के कारण उत्पन्न होने वाली सूजन को भी कम करता है और त्वचा को ठंडक प्रदान करता है।
एक छोटे पपीते को छीलकर बीज निकालें और उसे छोटे टुकड़ों में काटकर मिक्सर या ब्लेंडर से स्मूथ पेस्ट तैयार करें। पपीते का पेस्ट मुहासों पर लगाने से पहले त्वचा पर छोटी जगह पर थोडा मात्रा में लगाकर देखें त्वचा पर कंही कोई परेशानी ना हो। अगर कोई परेशानी ना हो तो 15 मिनट तक मुहासों पर लगाये उसके बाद साफ़ पानी से धो लें ।


धनिया पत्तीयों का पेस्ट: 

धनिया पत्तीयों के पेस्ट का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए कई तरह के फायदे करता है। धनिया में कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि विटामिन C, विटामिन K और फाइबर, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। धनिया पत्तीयों का पेस्ट त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को ताजगी प्रदान करते हैं, मुंहासों और दाग-धब्बों को कम करने में मदद करते हैं। यह पाचन को सुधारने में मदद करता है और अपच को कम करने में भी सहायक है।


गुड़ूची (Guduchi) का उपयोग: 

गुड़ूची, जिसे अंग्रेजी में Tinospora cordifolia कहा जाता है, यह एक प्राचीन पौधा है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके पौधे की डालियाँ, पत्तियाँ, और जड़ चिकित्सा में उपयोग होते हैं। गुड़ूची में ऐंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुहासों के कारण होने वाले इन्फेक्शन को कम करते है। कई औषधीय गुणों के कारण इसका सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है और यह इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है साथ ही विभिन्न रोगों से लड़ने जैसे डायबीटीज, कोलाइटिस और गैस्ट्राइटिस जैसी बीमारियों के इलाज में भी मदद करते हैं।
यदि आप मुहासों के लिए गुड़ूची का उपयोग करना चाहते हैं, तो पहले एक चिकित्सक से परामर्श करना सुरक्षित होगा।


गुलाबजल (Rose Water) का उपयोग:

गुलाबजल, जिसे रोज़ वॉटर भी कहा जाता है, एक प्राचीन और पौराणिक उपयोगिता से भरपूर एक प्राकृतिक सुंदर और गुणकारी उत्पाद है। इसे गुलाब के फूलों से बनाया जाता है, इसमें गुलाब के आरोमा और गुणों का मिश्रण होता है। गुलाबजल को अनेक उपयोगों के लिए लोकप्रियता प्राप्त है, जैसे कि खासतौर से उपचार और सौंदर्यिक उद्देश्यों के लिए। इसका उपयोग त्वचा को शीतल, सुंदर और ताजगी प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गुलाबजल को रोजाना त्वचा पर लगाने से त्वचा की सुरक्षा बनी रहती है और यह त्वचा को मोइस्चराइज़ करके नमी प्रदान करता है जिससे मुहासे कम होते हैं।


त्रिफला (Triphala) का उपयोग: 

त्रिफला यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो तीन फलों के संयोजन आवंला, हरंड और बहेड़ा (बिभीतक) से बराबर मात्रा में मिश्रित करके बनाया जाता है जो शरीर के सारे सिस्टम के लिए लाभकारी है।
त्रिफला का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने, ह्रदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पेट के विकार में लाभकारी होता है इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन C, A और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं साथ ही त्रिफला में अनेक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स और खनिज होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ बनाये रखते हैं और मुहासों के उपचार में विशेष रूप से प्रभावी होते है।


मुल्तानी मिट्टी का उपयोग:

मुल्तानी मिट्टी (Fuller's Earth) त्वचा के लिए एक प्राकृतिक औषधि है जो विभिन्न स्वास्थ्य और सौंदर्य समस्याओं का उपचार करने में सहायक होती है। मुल्तानी मिट्टी को Yashtimadhu के नाम से भी जाना जाता है मुल्तानी मिट्टी में सिलिका, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं जो त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होतें हैं और यह मुहांसों को ठीक करने में मदद करते है इसका उपयोग करने से त्वचा को ठंडक मिलती है।
मुल्तानी मिट्टी और साधारण पानी या गुलाब जल के साथ मिलाकर पेस्ट बनाये और इस पेस्ट को त्वचा पर या फेस पर लगायें और पेस्ट को सुखने तक लगाकर रखें उसके बाद साफ पानी से धो लें। ऐसा करने से मुहासे जल्दी ठीक होंगें।


चंदन के लेप का उपयोग:

चंदन का लेप, जिसे "Sandalwood Paste" भी कहा जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। चन्दन एक बेहद सुगन्धित लकड़ी होती है जो बहुत पवित्र मानी जाती है, चन्दन का उपयोग सौन्दर्य उत्पाद में व् पूजा-पाठ की सामग्री बनाने में ज्यादा किया जाता है और विशेषकर इसका उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में भी होता है। चन्दन की लकड़ी के पाउडर को लेप बनाकर त्वचा पर लगाया जाता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाता है और मुहासों के उपचार में उपयोगी होता है।
इसका उपयोग करने के लिए चंदन पाउडर के साथ पानी या गुलाब जल के साथ मिलाक पेस्ट बनाये और इस पेस्ट को त्वचा पर लगाने से त्वचा में ठंडक पहुचती है और त्वचा सम्बन्धी रोगों से छुटकारा मिलता है।


मंजिष्ठा (Rubia cordifolia) का उपयोग: 

मंजिष्ठा जिसे आयुर्वेद में "मण्डूकपर्णी" कहा जाता है यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय है जो मुहासों और त्वचा समस्याओं के उपचार में उपयोगी होता है। मंजिष्ठा रक्त शोधन करने में मदद करती है जिससे त्वचा में सूजन और इंफेक्शन होने से रोकती है। और मुहासे ठीक होते हैं इसका नियमित उपयोग त्वचा की रंगत में सुधार करता है और त्वचा को ग्लो करने में मदद करता है।


मुलेठी का उपयोग:   

एक औषधीय पौधा है जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में पाया जाता है इसका वैज्ञानिक नाम Glycyrrhiza glabra है जिसे आयुर्वेद में यष्टिमधु के नाम से जाना जाता है। मुलेठी के जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत समय पहले से किया जा रहा है। यह स्वास्थ्य के लिए कई तरह से फायदेमंद होती है जैसे अधिकतर मुलेठी को खांसी, गले की खराश और अन्य श्वासरोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है जो मुहासों और त्वचा समस्याओं के इलाज में उपयोगी होती है। त्वचा को स्वस्थ रखने व् प्राक्रतिक निखार पाने के लिए मुलेठी का प्रयोग करना बहुत आसान है एक चम्मच मुलेठी पाउडर में थोडा सा शहद और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाकर फेस पर लगभग 20 मिनट तक लगाना है सूखने के बाद धो लेंना है। ऐसा सप्ताह में 2 या 3 करने से बहुत लाभ मिलेगा।


खदिरा (बबूल कत्था) का उपयोग:

खदिरा जिसे बबूल कत्था भी कहा जाता है, जिसका वास्तविक नाम Rubia cordifolia है। खदिरा बबूल के पेड़ की छाल से प्राप्त होने वाला एक प्राचीन औषधि है जो आयुर्वेद में बहुत उपयोगी है, इसमें टैनिन, कुमारीन, तेल और अन्य औषधीय तत्व होते हैं जो सेहत के बहुत लाभकारी होते हैं और मुहासों व् त्वचा समस्याओं के इलाज में उपयोगी होता है।


शतावरी का उपयोग:

शतावरी Asparagus racemosus एक पौधा है जो भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका नाम संस्कृत शब्द "शतावरी" से लिया गया है, यह पौधा मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका, और नेपाल में पाया जाता है। शतावरी एक पौष्टिक जड़ी-बूटी है इसमें में एंटी-इंफ्लैमेटरी गुण होते हैं जो मुहासों को कम करने में मदद करते हैं।

मुँहासे होने का कारण क्या है?  घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय :


अंतिम निष्कर्ष:

मुँहासे त्वचा की समस्याएं हैं जो चेहरे पर देखने को मिलते है और यह आमतौर पर युवाओं में ज्यादा देखी जाती हैं, लेकिन इससे वयस्क भी प्रभावित होते हैं जैसा की इस लेख में बताया गया है मुँहासों के होने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ रोगों के कारण और त्वचा की अनेक समस्याओं के कारण, सबसे ज्यादा मुहासें तब होते है जब त्वचा पर तेल का निर्माण अधिक होता है और त्वचा के मुख्य छिद्र बंद हो जाते है जिससे बैक्टीरिया और त्वचा के कोशिकाएं मिलकर मुँहासे बना देते हैं जो कभी-कभी त्वचा के सतह पर देखा जा सकता है। घरेलू उपचार में नियमित रूप से मुँहासों से बचाव के लिए सही तरह से साफ़-सफाई, सही आहार, अच्छी नींद और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार से आयुर्वेदिक दृष्टि से मुहासों के निदान में कई ऐसे उपचार है जिनका सही से पालन कर मुहासों की गम्भीर समस्या से निजात पाया जा सकता हैं।
लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद।

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अस्वीकरण:

यह लेख केवल एक सामान्य जानकारी व् शिक्षा के उद्देश्य के लिए लिखा गया हैं। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सकीय सलाह बिल्कुल नही है इसलिए यदि किसी को मुहासों की गंभीर समस्या हो तो किसी योग्य डॉक्टर से परामर्श करना सुरक्षित होगा।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ):

मुहासों को जड से कैसे खत्म करें ?

मुहासों को जड़ से खत्म करने के लिए पहले तो सही तरीके से त्वचा की सफाई करें। नियमित रूप से चेहरे को धोना जरुरी है। त्वचा के लिए प्राकृतिक उपायों का उपयोग करें, जिसमे नीम का तेल, तुलसी, हल्दी और आलोवेरा का जूस उपयोगी होता हैं। ये त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और मुहासों को जड से खत्म करने में सहायता करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना भी फायदेमंद होगा क्योंकि वह आपकी त्वचा की प्रकृति को ध्यान में रखकर सही उपचार करता हैं।

मुहासों को जल्दी ठीक करने के उपाय ?

मुहासों को जल्दी ठीक करने के लिए पहले तो नियमित रूप से त्वचा की सफाई करें। आप नीम या तुलसी के पेस्ट का उपयोग कर सकते हैं जो त्वचा को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखता है। तुलसी, हल्दी और आलोवेरा का जूस भी लाभदायक है। गरमी में साफ़ ताजगी से भरा हुआ पानी पीना और नींबू का सेवन करना भी मुहासों को ठीक करने में मदद करता है। त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए और तेलीय त्वचा के लिए उपयुक्त moisturizer का भी इस्तेमाल करें।

पिंपल्स किसकी कमी से होते है ?

पिंपल्स या मुहासे कई कारणों से हो सकते हैं जिनमें से एक महत्वपूर्ण कारण है आहार में पोषक तत्वों की कमी। विशेषकर विटामिन ए, विटामिन सी और जिंक की कमी के कारण चेहरे पर मुहासे उत्पन्न होते है। विटामिन ए ,विटामिन सी और जिंक युक्त संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।

मुहासों को ठीक करने का घरेलू उपाय क्या है?

मुहासों के घरेलू उपायों में से एक उपाय है नीम के पत्ते का पेस्ट का प्रयोग। नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो मुहासों के खिलाफ कारगर होते हैं। अन्य उपायों में शहद और तुलसी का उपयोग भी किया जा सकता है। पेस्ट को मुहासे पर लगाएं। इसे 15-20 मिनट तक रखें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। यह त्वचा को स्वच्छ करने में मदद करता है और मुहासों को ठीक करता है।

छोटे-छोटे पिंपल्स को कैसे दूर करें?

छोटे-छोटे पिंपल्स को दूर करने के लिए आपको सही तरीके से त्वचा की देखभाल करनी चाहिए। सबसे पहले, नियमित रूप से त्वचा को साबुन और फेसवॉश से धोना चाहिए। होममेड फेस पैक्स जैसे नीम और मल्टानी मिट्टी का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। सही पोषण और पानी की अधिक मात्रा सेवन करने से छोटे-छोटे पिम्पल्स को कम करने में मदद होती है। शहद और नीम का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाना है और 15-20 मिनट के बाद साफ़ पानी से धों लें जिससे पिम्पल्स को दूर करने में सहायता मिलती है।









 

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