पथरी के लक्षण एवं इलाज. Symptoms and treatment of stone.
पथरी के लक्षण एवं इलाज. Symptoms and treatment of stone:
पथरी (Stone) एक ऐसी बीमारी है जिससे दुनिया भर में बहुत सारे लोग पीड़ित हैं। पथरी बनने का मुख्य कारण अवशोषित प्रोटीन, कैल्शियम, ऑक्सालेट, यूरिक एसिड या सिस्टीन जैसे खनिज और नमक की अधिकता होती है और पथरी खनिजों के अवशेषों व अपचय विकारों, पानी की कमी, अस्वस्थ आहार, अल्कोहल का अधिक सेवन और मोटापा या कम गतिविधि जैसे अनियमित जीवनशैली के कारण होती है। जब ये खनिज मूत्र में अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं तो एक-दूसरे से चिपकने लगते हैं और पथरी का निर्माण करते हैं। पथरी का निर्माण शरीर के किसी भी भाग मे अधिकांश किडनी मे, मूत्राशय या मूत्रमार्ग में, पित्ताशय की थैली मे (gall bladder) और पैंक्रियाज मे होता है। पथरी के कारण पेट और पीठ के निचले हिस्से में असहनीय तेज दर्द होता है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में होती है लेकिन महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसकी संभावना अधिक होती है। तो चलिए आज हम इस लेख मे पथरी के कुछ लक्षणों और इसके सरल व सुरक्षित इलाज के बारे मे विस्तार से बात करने वाले है। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
पथरी के लक्षण एवं इलाज. Symptoms and treatment of stone.
पथरी के लक्षण. Symptoms of stone:
पीठ और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द. severe pain in the back and lower abdomen:
पथरी में गंभीर दर्द तब होता है जब पथरी मूत्रवाहिनी में फंस जाती है जिससे मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और यह दर्द अचानक शुरू होता है। पीठ या पेट के निचले हिस्से में तीव्रता से महसूस होता है जो कमर और जननांगों तक फैल सकता है। दर्द इतना तीव्र होता है कि इसे सहन करना मुश्किल हो जाता है और अक्सर इसके साथ उल्टी और पेशाब में खून आ सकता है।
उल्टी और मतली. Vomiting and nausea:
यह एक सामान्य समस्या होती है लेकिन पथरी के दौरान भी उल्टी आना आम बात है। यह मुख्य रूप से गुर्दे की पथरी के मूत्रमार्ग में फंसने या पथरी के कारण मूत्रमार्ग में रुकावट के कारण शरीर में विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं जिससे उल्टी होती है और जी मचलना पथरी होने का एक सामान्य लक्षण है। इसमे कभी-कभी अचानक जी मचलने के साथ उल्टी आने लगती है। यह आमतौर पर गुर्दे की पथरी या संक्रमण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
पेशाब में खून आना. Blood in urine:
पेशाब में खून आना किडनी की पथरी के लक्षणों का एक सामान्य और गंभीर संकेत होता है। यह मुख्य रूप से तब होता है जब किडनी या मूत्रमार्ग में पथरी का आवागमन होता है। पथरी की नुकीली सतहें और खुरदरे किनारे मूत्रमार्ग के संवेदनशील ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे आंतरिक रक्तस्राव होता है और पेशाब में खून आने लगता है। इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह किडनी की पथरी के साथ-साथ संभावित संक्रमण या अन्य गंभीर मूत्र संबंधी समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। पेशाब में खून के साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे गंभीर दर्द, पेशाब करने में कठिनाई या बार-बार पेशाब आना।
पेशाब के दौरान दर्द होना. Pain during urination:
पेशाब के दौरान दर्द (dysuria) होना यह किडनी की पथरी का एक दर्दनाक लक्षण है। इसका मुख्य कारण है जब पथरी मूत्रमार्ग में प्रवेश करती है और मूत्र के प्रवाह को अवरुद्ध या बाधित कर देती है। पथरी की नुकीली और खुरदरी सतहें मूत्रमार्ग के संवेदनशील स्थान को खरोंचती हैं जिससे जलन और चोट लगती है। इसके अतिरिक्त जब पथरी मूत्रमार्ग में फंस जाती है तो यह मूत्राशय और किडनी पर दबाव डालती है। इस दबाव के कारण मूत्राशय में सूजन हो जाती है जिससे पेशाब करते समय दर्द और जलन होती है। पथरी का आवागमन भी मूत्रमार्ग में रुकावट पैदा करता है जिससे पेशाब पूरी तरह से निकल पाना मुश्किल हो जाता है और तेज दर्द होता है।
मूत्र से दुर्गंध आना.Bad smell from urine:
पेशाब से दुर्गंध आना पथरी का एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है। यह आमतौर पर मूत्रमार्ग में रुकावट के कारण होता है जो पथरी या संक्रमण की संभावना का संकेत देता है। मूत्रमार्ग में पथरी या किडनी में किसी संक्रमण के कारण मूत्र के प्रवाह में रुकावट आती है जिससे मूत्र में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और दुर्गंध आने लगती है।
बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना. Frequent urge to urinate:
बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना पथरी का एक सामान्य लक्षण है। जब कोई पथरी मूत्रवाहिनी में फंस जाती है या मूत्रमार्ग से नीचे चली जाती है तो यह मूत्राशय में जलन पैदा करती है। इससे मूत्राशय में जलन और दबाव होता है जिसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होती है भले ही पेशाब की मात्रा कम हो। यह स्थिति बहुत असुविधाजनक होती है।
बुखार और ठंड लगना.Fever and chills:
यदि पथरी के लक्षणों में ठंड लगने के साथ बुखार आ रहा है तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है यह आमतौर पर मूत्र मार्ग में संक्रमण का संकेत होता हैं। इस संक्रमण को पायलोनेफ्राइटिस (pyelonephritis) कहा जाता है जो एक प्रकार का किडनी संक्रमण है। इस संक्रमण के परिणामस्वरूप शरीर में सूजन और शरीर की इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है जिससे बुखार होता है। बुखार के साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे ठंड लगना, कंपकंपी, थकान और पेशाब में जलन होना।
बेचैनी. Restlessness:
पथरी के लक्षणों के साथ असुविधा का अनुभव होना आम है क्योंकि पथरी का दर्द बहुत असहनीय होने कारण व्यक्ति बेचैनी महसूस करता है। इसके साथ ही पेशाब करने में दिक्कत, बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना और पेशाब में खून आना भी परेशानी बढ़ाता है। ये लक्षण मानसिक तनाव और शारीरिक अस्वस्थता का कारण बनते हैं जिससे व्यक्ति अधिक बेचैनी महसूस करता है।
जीवाणु संक्रमण. Bacterial infection:
पथरी के लक्षणों में बैक्टीरिया संक्रमण की उपस्थिति एक गंभीर समस्या होती है। जब कोई पथरी मूत्रमार्ग को अवरुद्ध कर देती है तो उसके आसपास संक्रमण हो जाता है। ये संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होते हैं और इससे उच्च तापमान, बुखार, दर्द या पेशाब के साथ जलन, ठंड लगना, उल्टी या अन्य दुष्प्रभाव होते हैं। इसके अतिरिक्त लगातार जीवाणु संक्रमण भी परेशानी को बढ़ाता है।
पथरी का इलाज. Treatment of stone:
पथरी निदान के लिए इसके इलाज में घरेलू उपचार, आयुर्वेदिक उपचार एवं एलोपैथिक उपचार विधियाँ शामिल होती हैं।
पथरी का घरेलू उपचार. Home remedies for stone:
नींबू का रस और जैतून का तेल. Lemon Juice and Olive Oil:
नींबू का रस और जैतून का तेल पथरी के इलाज में लाभ प्रदान कर सकता है। नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने और उनके गठन को रोकने में मदद करता है। इससे पथरी का आकार कम होता है जिससे उनका मूत्र के माध्यम से निकलना आसान हो जाता है। जैतून का तेल लुब्रिकेंट के रूप में कार्य करता है जिससे मूत्रवाहिनी से पथरी को निकालना आसान होता है। यह प्राकृतिक उपचार पथरी के कारण होने वाले दर्द और परेशानी को कम करने में भी सहायक होता है।
अधिक पानी का सेवन. Drinking more water:
पथरी के घरेलू इलाज में अधिक पानी का सेवन एक प्रमुख उपाय है। रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना फायदेमंद होता है यह उपाय एक प्राकृतिक और सस्ता तरीका है जो किडनी के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। अधिक पानी पीने से मूत्र उत्पादन बढ़ता है जिससे किडनी साफ रहती है और पथरी के छोटे-छोटे कणों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे पथरी का खतरा कम हो जाता है और शरीर में पानी का संतुलन भी बना रहता है। साथ ही पानी शरीर की सफाई भी बनाए रखता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं। इसलिए प्रतिदिन अधिक मात्रा मे पानी का सेवन करना चाहिए।
सेब का सिरका. Apple vinegar:
सेब का सिरका पथरी के इलाज में बहुत उपयोगी है। यह एसिडिटीक होने के कारण पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने और उनके गठन को रोकने में मदद करता है। इसके सेवन से पथरी गलने लगती है और पथरी का आकार छोटा होने के कारण पथरी पेशाब के द्वारा बाहर निकलने मे आसानी होती है। सेब का सिरका शरीर में अम्लता के स्तर को बनाए रखने में भी सहायक है जो पथरी को कम करने में मदद करता है।
मसूर दाल व हरी मूंग दाल. Lentils and green moong dal:
पथरी के घरेलू इलाज में मसूर दाल और हरी मूंग दाल का सेवन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ये दालें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत हैं जिससे किडनी का स्वास्थ्य बेहतर रहता हैं। मसूर दाल में आयरन, फोलेट और मैग्नीशियम होता है जो पथरी को गलाने में मदद करता है। हरी मूंग दाल में अधिक प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं और पथरी को गलाने में मददगार होते हैं।
अनार का रस. Pomegranate juice:
अनार में विटामिन सी, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो पथरी के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके नियमित सेवन से यूरिक एसिड के स्तर को कम करने, मूत्र पथ को साफ करने और पथरी बनने से रोकने में मदद मिलती है। अनार के जूस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होते हैं। अनार के जूस का नियमित सेवन बिशेषकर किडनी की पथरी के इलाज में मददगार होता है।
तुलसी के पत्ते. Basil leaves:
पथरी के इलाज में तुलसी की पत्तियां विशेष रूप से लाभकारी होती हैं। इसमें विभिन्न गुणों की मौजूदगी इसे पथरी के इलाज में उपयोगी बनाती है। तुलसी के पत्तों में विटामिन C, एंटीवायरल, जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मूत्र पथ को साफ करने में मदद करते हैं और पथरी बनने से रोकने में सहायक होते हैं। इसके सेवन से रक्तचाप को नियंत्रित किया जाता है और पथरी के कारण होने वाले दर्द को कम करने में मदद मिलती है। तुलसी के पत्ते मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी बहुत मदद करते हैं।
पथरी के लक्षण एवं इलाज. Symptoms and treatment of stone
धनिया के बीज का पानी. Coriander seed water:
धनिये के बीज का पानी पथरी के घरेलू इलाज में बहुत फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो किडनी के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इसमें मौजूद मूत्रवर्धक गुण किडनी और मूत्र मार्ग को साफ करने में मदद करते हैं जिससे पथरी के छोटे-छोटे कणों को बाहर निकालने मे आसानी होती हैं। धनिये का पानी किडनी में जमा खनिजों को घोलने में मदद करता है और पथरी बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। धनिये के बीज का पानी का उपयोग करने के लिए एक चम्मच धनिये के बीज को एक गिलास पानी में रात भर भिगो दें और सुबह खाली पेट इसे पी लें। इसके नियमित सेवन से पथरी के लक्षणों से राहत मिलती है।
मूली का रस. Radish juice:
मूली अपने अनेक गुणों के लिए जानती जाती है क्योंकि मूली में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। मूली का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है खासकर लिवर और किडनी को स्वस्थ रखने में। इसमें मौजूद विटामिन C, पोटेशियम और फाइबर मूत्र पथ के लिए बहुत अच्छे होते हैं जो पथरी के निर्माण को रोकने और पेशाब की सामान्य समस्याओं से भी राहत दिलाता है और पथरी के कारण होने वाले दर्द को भी कम करता है। इसके नियमित सेवन से यूरिक एसिड को नियंत्रित कर पथरी बनने से रोका जा सकता है। मूली में पानी की मात्रा अधिक होती है जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करती है पथरी के इलाज में मूली का रस बहुत मददगार होता है।
खीरे का रस. Cucumber juice:
पथरी के इलाज में खीरे का रस बहुत लाभदायक होता है क्योंकि खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। यह किडनी में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे पथरी बनने की संभावना कम होती है। खीरे का रस यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में भी सहायक है जिससे पथरी का निर्माण कम होता है इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण किडनी के सूजन को कम करते हैं और उसके कार्य में सुधार करते हैं। नियमित रूप से खीरे के रस का सेवन करने से पथरी के लक्षणों से राहत मिलती है।
गाजर का रस. Carrot juice:
गाजर का रस मूत्रवर्धक होता है जो मूत्र के प्रवाह को बढ़ाता है और पथरी के छोटे कणों को मूत्र के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है। गाजर का रस विटामिन A, विटामिन C, और विटामिन K के साथ-साथ पोटेशियम और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है जो किडनी के स्वास्थ्य में सुधार करता है और पथरी बनने से रोकता है। गाजर का रस शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और साथ ही यह पाचन में सुधार करता है और यह पथरी बनाने वाले शरीर से अतिरिक्त कैल्शियम और अन्य खनिजों को बाहर निकालने में मदद करता हैं।
कलौंजी का तेल. Nigella oil:
कलौंजी के तेल में थायमोकिनोन (thymoquinone) होता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और पथरी बनने की प्रक्रिया को धीमा करता है। कलौंजी के तेल में मूत्रवर्धक प्रभाव होता है जो किडनी को साफ करने में मदद करता है और पथरी के छोटे कणों को बाहर निकालने में मदद करता है। पारंपरिक चिकित्सा में कलौंजी का उपयोग कई शारीरिक समस्याओं के उपचार के लिए भी किया जाता रहा है जिसमें पथरी भी शामिल है। इसके नियमित सेवन से पथरी के लक्षणों में राहत मिलती है। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच कलौंजी का तेल गुनगुने पानी के साथ लेना बहुत फायदेमंद होता है।
ग्रीन टी का सेवन. Consumption of green tea:
ग्रीन टी पथरी के घरेलू इलाज में बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसमें पाए जाने वाले कैटेचिन और पॉलीफेनोल्स किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं और कैल्शियम ऑक्सालेट के गठन को कम करते हैं जो पथरी बनने का मुख्य कारण है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और मूत्र पथ को स्वस्थ रखते हैं जिससे पथरी बनने से रोकने में मदद मिलती है। इसके नियमित सेवन से किडनी में संक्रमण का खतरा कम हो जाता है और पथरी के इलाज में बहुत फायदेमंद है।
जौ का पानी. Barley water:
जौ के पानी का सेवन पथरी के इलाज में विशेष रूप से सहायक होता है। जौ के पानी में मौजूद फाइबर और पोटेशियम पथरी के निर्माण को कम करने में मदद करते हैं। इसकी समृद्ध एसिड सामग्री के कारण यह किडनी को साफ करने में मदद करता है। जौ के पानी में मौजूद ऊर्जा तत्व शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारु बनाए रखने में मदद करते हैं और शारीरिक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके नियमित सेवन से पथरी के लक्षण कम होते हैं और इलाज में मदद मिलती है।
बेल का रस.Vine juice:
बेल का जूस भी पथरी के इलाज में मददगार होता है। इसमें पोटेशियम, फाइबर और विटामिन C होता है जो किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और यह विशेष रूप से कैल्शियम ऑक्सालेट के निर्माण को कम करने में मदद करता है। जिससे पथरी का निर्माण कम होता है और यह मूत्रमार्ग को साफ और स्वस्थ रखता है और पथरी के इलाज में योगदान देता है।
पथरी का आयुर्वेदिक इलाज. Ayurvedic treatment of stone:
वरुण अर्क एवं पुनर्नवा चूर्ण.Varun ark and Punarnava powder:
वरुण अर्क एवं पुनर्नवा चूर्ण एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है वरुण अर्क एवं पुनर्नवा चूर्ण एक मूत्रवर्धक चूर्ण है जो मूत्र प्रवाह को बढ़ाता है और छोटे पथरी के कणों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और पथरी बनने से रोकने में सहायक होता है। वरुण अर्क एवं पुनर्नवा चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो किडनी के सूजन को कम करने में मदद करते हैं और पथरी के कारण होने वाले दर्द और परेशानी को कम करते हैं।
वरुण अर्क का उपयोग करने के लिए इसे आमतौर पर दिन में दो बार 10-20 मिलीलीटर लिया जाता है और पुनर्नवा चूर्ण को दिन में दो बार 1-2 चम्मच पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। इसके सही खुराक के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से भी परामर्श ले सकते है।
अश्मरीहर काढ़ा. Ashmarihar Kadha:
अश्मरीहर काढ़ा एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार है जिसका उपयोग पथरी (अश्मरी) के उपचार में किया जाता है। इसमें विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जो किडनी में जमा पथरी को तोड़कर निकालने में सहायक होता है। यह काढ़ा मूत्र संबंधी समस्याओं के इलाज, किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मूत्र मार्ग के रोगों के इलाज में भी उपयोगी होता है।
चंद्रप्रभा वटी. Chandraprabha Vati:
चंद्रप्रभा वटी भी एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग मूत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह मूत्र रोग, पथरी, मूत्राशय संक्रमण और मूत्र पथ की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। चंद्रप्रभा वटी अपने उपचार मे रक्त को शुद् करने मे मदद करता हैं। इसका नियमित सेवन करने से पथरी की समस्याओं निजात मिलती है।
त्रिफला चूर्ण. Triphala powder:
त्रिफला चूर्ण भी एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो वायु, पित्त और कफ को संतुलित करती है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसमें तीन प्रमुख जड़ी-बूटियों का मिश्रण है जिसमे आंवला, हरीतकी और बिहारितकी होती है। त्रिफला चूर्ण पाचन में सुधार कर कब्ज से राहत देता है और किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इसके नियमित सेवन से पथरी को कम करने या पथरी का आयुर्वेदिक रूप से इलाज किया जाता है।
पथरी का एलोपैथिक इलाज. Allopathic treatment of stone:
एलोपैथिक चिकित्सा विधि. Allopathic medicine method
एलोपैथिक चिकित्सा मे पथरी के इलाज के लिए डॉक्टर विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं जो पथरी के आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करता हैं। छोटे आकार की पथरी अक्सर खुद ही मूत्रमार्ग से निकल जाती है और इसके लिए दर्द निवारक दवाएँ, पानी का अधिक सेवन, और एंटी-स्पास्मोडिक दवाएँ दी जाती हैं। बड़ी या जटिल पथरी के लिए निम्नलिखित उपचार किए जा सकते है।
लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) व यूरीटेरोस्कोपी (Ureteroscopy):
यह एक प्रभावी विधि है जिसमे एक पतली ट्यूब (यूरीटेरोस्कोप) का उपयोग करके मूत्रमार्ग के माध्यम से पथरी को देखा और निकाला जाता है। यह प्रक्रिया सामान्यत: तब की जाती है जब पथरी छोटी होती है या लिथोट्रिप्सी से तोड़ी नहीं जा सकती।
पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोट्रिप्सी (PCNL):
एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जटिल या बड़ी पथरी के लिए उपयोग होती है जिसमें छोटा चीरा लगाकर किडनी में एक ट्यूब डाली जाती है और पथरी को तोड़कर निकाला जाता है।
पथरी के लक्षण एवं इलाज. Symptoms and treatment of stone
ओपन सर्जरी Open Surgery:
ओपन सर्जरी एक पारंपरिक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग बहुत बड़ी, जटिल या अन्य विधियों से हटाने में असमर्थ पथरी को निकालने के लिए किया जाता है।
निष्कर्ष. Conclusion:
पथरी एक संभावित गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। पथरी का इलाज उसके आकार और पथरी की स्थिति पर निर्भर करता है। पथरी के लक्षणों को पहचानना और समय रहते इसका इलाज करना बहुत जरूरी है। सही निदान और उपचार न केवल दर्द और परेशानी से राहत देता हैं बल्कि पथरी जैसी गंभीर बीमारी से भी निजात दिलाता हैं। पथरी के इलाज के लिए बाजार में कई दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन गंभीर मामलों में डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है जिससे रोगी के लक्षणों व पथरी की स्थति के आधार पर इलाज किया जा सके। और चिकित्सा विशेषज्ञ की देखरेख में उचित उपचार और सलाह, जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ कुछ सरल घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचारों से भी पथरी की समस्या को प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता हैं।
अस्वीकरण. Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यह जानकारी किसी भी बीमारी के उपचार और निदान के लिए किसी भी चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह नहीं है। पथरी के लक्षणों और उसके इलाज को समझना और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सही तरीके से उपायों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। हालाँकि कुछ बातें ध्यान में रखना ज़रूरी है। यदि किसी को पथरी की गंभीर समस्या है तो कृपया किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श करें। अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य सुझाव और जानकारी की अस्वीकरण नीति को पढ़ें।
लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल.(FAQ):
पथरी किसकी कमी से होती है?
पथरी होने का कारण सामान्य कार्यप्रणाली में बदलाव है और इसके प्रमुख कारणों में पानी की कमी, आहार में अधिक तेल और नमक का सेवन, अधिक प्रोटीन या एसिटिक एसिड का जमा होना, किडनी की साफ-सफाई में कमी, अनियमित जीवनशैली और डायबिटीज, उच्च रक्तचाप किडनी में संक्रमण जैसी अन्य बीमारियाँ भी शामिल हो सकती हैं। ये सभी कारण पथरी के निर्माण को बढ़ाते हैं।
पथरी को गलाने के लिए क्या खाना चाहिए?
पथरी को गलाने में प्राकृतिक और स्वस्थ आहार अहम भूमिका निभाता है। यहां कुछ खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जो सहायक होते हैं जैसे अधिक पानी, नींबू पानी, ताजे फल, सब्जियां और ग्रीन टी, मसूर दाल व हरी मूंग दाल, सेब का सिरका, नारियल पानी, ककड़ी, बादाम, अनार, तिल, तरबूज और विटामिन C और पोटेशियम से भरपूर आहार पथरी को गलाने में बहुत मदद करते है और इसके अलावा चिकित्सक द्वारा सुझावित एलोपैथिक दवाओं का सेवन भी पथरी को गलाने मे बहुत मदद करती है।
पथरी में चावल खा सकते हैं क्या?
पथरी में चावल का सेवन किया जा सकता है लेकिन सावधानी जरूरी है। चावल में प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जो पथरी की बढ़ती समस्या को और बढ़ा सकती है। इसलिए पथरी के रोगी को चावल अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी नई डाइट शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। समय-समय पर पानी पीना और स्वस्थ आहार खाना भी बहुत उपयोगी होता है।
पथरी का घरेलू उपाय क्या है?
पथरी के घरेलू उपचार में अधिक पानी का सेवन जिसमे रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने को प्राथमिकता दी जाती है। नींबू पानी और अनार का रस, गाजर का रस, मसूर की दाल इसके अतिरिक्त ताजे फल, खीरे का रस, धनिये के बीज का पानी, मूली का रस, सेब का सिरका, तुलसी के पत्ते, बेल का रस और पुदीना और सब्जियाँ भी उपयोगी होती हैं।
पथरी में क्या नहीं खाए?
पथरी के रोगी को कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इनमें शामिल हैं प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध के उत्पाद जैसे पनीर, दही, अंडे और मांस, अधिक नमक, तेल, चिकनाईयुक्त भोजन, तला हुआ भोजन और कैफीन। अजवाइन, अदरक, लहसुन, मिर्च और चाट मसाला जैसे मसालेदार मसाले भी न खाएं। इसके अलावा अधिक खाना से बचें और अपने पेट को हल्का रखें।
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